7/31/20

कोरोना -वॉरियर्स डॉ.मनजीत सिंह ,अपने निःस्वार्थ कार्यों हेतू पुरस्कृत !-बर्बाद इंडिया / मनोज बत्रा (एडिटर)

बंदा रब का दास है !क्षेत्र का बड़ा ख़ास है !!

 कोरोना -वॉरियर्स डॉ.मनजीत सिंह ,अपने निःस्वार्थ कार्यों हेतू पुरस्कृत !

30 जुलाई ,2020 . 
कुलदीप नगर ,राजपुरा(पंजाब ). 
(ईश्वर आज़ाद और मनोज बत्तरा द्वारा ).

     कुलदीप नगर और आस-पास के एरिया के मशहूर डॉक्टर मनजीत सिंह ,इलाके का जाना-माना नाम है !ये नाम ऐसे ही नहीं बना !इसके पीछे उनकी काम के प्रति गहरी लगन, मेहनत और समाज के प्रति सेवा का उनका  भाव है! 
     अब समाज और देश की तरक्की और सेवा तो कोई रब का बंदा ही सोच सकता है !जी हाँ ,पंजाब के इतिहास में बेहद रुचि रखने वाले ,डॉक्टर मनजीत रब के दास भी है !रब के वजूद में विश्वास रखते है और गुरुद्वारों ,मंदिरों आदि धार्मिक स्थलों में दर्शन ,प्रसादा छकना और सेवा करना आदि इनके नियमित कार्य और व्यवहार है !
     डॉक्टर मनजीत इलाके के लोगो के बीच अपनी अच्छी पकड़ रखते है !प्यार और सम्मान से लोग, उन्हें उनके निक नेम "डॉक्टर बिल्ला "से कहकर पुकारते है !लोगों का विश्वास उनके द्वारा किये गए निःस्वार्थ कार्यों के कारण भी है !पिछले दिनों उन्होंने एक नाली साफ़ करने वाले, बेहद गरीब व्यक्ति के माथे पर उगे हानिकारक फोड़े का ऑप्रेशन ,अपने और कुछ साथियों के पैसों से मिलकर करवाया !गरीबों को मुफ़्त दवाइयां तक बाँट देते है,डॉक्टर मनजीत !


मोहमद खलील नाली वाला 

     कोरोना -काल में भी डॉक्टर मनजीत सिंह ,"डॉक्टर लाल पैथ लेब" की टीम के साथ,अपनी जान की परवाह किये बिना, जुड़े हुए कार्य कर रहे है !वे सचमुच कोरोना वॉरियर्स है !रक्त -दान कैम्प हो या कोई भी चेकअप- कैम्प या समाज की सेवा का कार्य ,वे अपना योगदान बनाए रखते है !डेंगू तो इनसे डरता है !डेंगू के बहुत सारे मरीज इन्होने ठीक किये है!




डॉक्टर मनजीत अपना प्लेटलेट्स किसी
 अनजान व्यक्ति को दान करते हुए !

      डॉक्टर मनजीत सिंह एक कवि ,लेखक, स्वतंत्र पत्रकार और एक सामाजिक प्राणी भी है !"लक्कड़ -छक्क्ड़ जोड़कर ,मैंने कंप्यूटर- सेंटर बनाया !"नामक कविता उनके कवि -रूप की बेहतरीन मिसाल है !जन्म-दिन ,मुंडन ,सगाई ,विवाह हो या किसी का भोग ,डॉक्टर साहेब ,वहाँ पहुँच कर अपना सामाजिक कर्तव्य अवश्य निभाते है!
     डॉक्टर मनजीत एक प्यारी -सी बिटिया के पिता भी है !जीवन में बेटियों की अहमियत समझने के कारण ही ,वे  "बेटी बचाओं ,बेटी पढ़ाओं "मुहिम के सख्त हिमायती है !






      उन्होंने बताया कि वे गांव में रेड क्रॉस संस्था को लाने के इच्छुक है ,ताकि गांव के युवा समाज और देश-सेवा से जुड़ सकें !



     पूर्व में एक सामाजिक संस्था द्वारा डॉक्टर मनजीत का सम्मान किया गया !"बर्बाद इंडिया "भी अपने सामाजिक-दायित्व को समझता है !इसीलिए डॉक्टर मनजीत को उत्साहित करने के लिए ही ,उनके सामाजिक- कार्यों और निःस्वार्थ सेवाओं के लिए ,पुरस्कृत किया जा रहा है !डॉक्टर मनजीत सिंह को "बर्बाद इंडिया"की संपादक- टीम की ओर से हार्दिक शुभकामनाएं !

चीफ एडिटर आचार्य मनोज बत्तरा


7/28/20

शिल्पा "शैली "पुरस्कृत और "बर्बाद इंडिया "की को -एडिटर नियुक्त !-बर्बाद इंडिया / मनोज बत्रा (एडिटर)

सम्पादकीय- 


आचार्य मनोज बत्तरा के कीपैड से !


उच्च मानवीय गुणों की स्वामिनी शिल्पा "शैली "पुरस्कृत और "बर्बाद इंडिया "की को -एडिटर नियुक्त !

27 जुलाई ,2020 . 
चंडीगढ़ (पंजाब ). (चीफ एडिटर मनोज बत्तरा द्वारा ). 

     प्रिय पाठकों !मेरा मानना है कि आपके जीवन में जिस इंसान ने अपनी भूमिका निभानी होती है ,उसे परिस्थितियाँ आपके जीवन में अवश्य लेकर आती है!जीवन में हर एक चीज का समय कुदरत ने पहले से ही निश्चित कर रखा है !फिर अच्छी व बुरी आत्माएं अपना -अपना समूह बनाकर इस दुनिया में कार्य करती है और इस जन्म के या पूर्व जन्मों के कर्मफल हमारे आगे आते रहते है!अब यहाँ कर्म-बंधन से मुक्ति अलग आध्यात्मिक विषय है!


व्यक्तिगत कारणों से शिल्पा "शैली " के स्थान पर,प्रतीक -रूप में
अभिनेत्री  शिल्पा शैट्टी का चित्र लगाया गया है ! 

     मेरे जीवन की परिस्थितियाँ शिल्पा "शैली"जी को, मेरे जीवन में सहजता और प्रभावशाली ढंग से लेकर आई !मानो ,उनका मेरे जीवन में आना पहले से ही तय था !
     विषम और प्रतिकूल परिस्थितयों में भी सकारात्मक ,पॉज़िटिव सोच के साथ ,निरंतर सतत ,ठोस प्रयास का उच्च सन्देश उन्होंने मुझे दिया !शिल्पा "शैली"जी के वाक्यों को ईश्वरीय सन्देश मानकर ,मैंने जब अमलीजामा पहनाया ,तब काफी हद तक परेशानी से मुक्ति भी हो गई !
     शिल्पा "शैली "जी का सहयोगात्मक रवैया ,अपनत्व ,मानवता ,दर्शन ,जीने की कला ,मातृत्व ,कर्तव्यनिष्ठा ,मृदुल वाणी,ईश्वर के प्रति भक्ति-भाव ,अपने जीवन में मर्यादा (राम )और आर्ट ऑफ़ लिविंग (कृष्ण )का सामंजस्य और उनका सुलझा व्यक्तित्व आदि ईश्वर -रुपी शिल्पकार का, उनके रूप में शिल्प ही तो है!सचमुच,वे उच्च मानवीय गुणों की स्वामिनी है !मैं तो भई ,उनसे बेहद प्रभावित हूँ और नतमस्तक हूँ ,उनके दिव्य व्यक्तित्व के आगे !
     शिल्पा "शैली "जी के महान व्यक्तित्व से प्रभावित होकर ही ,मैंने उन्हें पुरस्कृत करने का निर्णय लिया है ! सम्मान -स्वरूप उन्हें एक पत्रिका भेंट की जा रही है तथा शिल्पा "शैली "जी को "बर्बाद इंडिया "के संपादक -मंडल में को -एडिटर नियुक्त किया जा रहा है !ताकि शिल्पा जी समाज को सही और सकारात्मक दिशा देने में ,अपनी अहम भूमिका निभा सकें !
     शिल्पा "शैली"जी की रचनात्मकता ,सृजन और सकारत्मकता के नवीन व विविध आयाम स्थापित करेंगी ,ऐसा मेरा विश्वास है ! 


चीफ एडिटर आचार्य मनोज बत्तरा





7/26/20

मशहूर टीवी एंकर चित्रा त्रिपाठी (आज तक ) का चैनल के दायरों में दम घुटता है ?पत्रकार मनोज बत्तरा से हुई बातचीत !-बर्बाद इंडिया / मनोज बत्रा (एडिटर)

भारत में पत्रकारिता -जगत की दयनीय हालत!

मशहूर टीवी एंकर चित्रा त्रिपाठी (आज तक ) का चैनल के दायरों में दम घुटता है ?पत्रकार मनोज बत्तरा से हुई बातचीत !

25 जुलाई ,2020 .
नई दिल्ली। (ईश्वर आज़ाद और चीफ एडिटर मनोज बत्रा द्वारा ).

     पिछले दिनों भारत की मशहूर टीवी एंकर चित्रा त्रिपाठी (आज तक )और "बर्बाद इंडिया "के चीफ एडिटर ,पत्रकार ,साहित्यकार और फिल्म -निर्देशक मनोज बत्तरा की बातचीत हुई !बातचीत में एंकर के अंदर का दर्द और भारत में पत्रकारिता -जगत की दयनीय हालत साफ़ झलक रही थी !




     बातचीत के प्रमुख अंश प्रस्तुत है :-

     चित्रा त्रिपाठी -"पॉजिटिव और सच्ची ख़बरों के लिए मैंने 'सच्ची खबर'नाम से एक वेबसाइट शुरू की है !मुझे आशा है कि इसे आप ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचायेंगे !"
     मनोज बत्तरा -"चित्रा ,मन में जिज्ञासा है कि इस ब्लॉग /वेबसाइट की आपको जरूरत क्यों पड़ी ?इसका कोई विशेष महत्त्व /उपयोगिता भी है ?इतना समय कैसे निकाल लेती है आप ,इन सब के लिए ?आखिर लक्ष्य क्या है आपका ?"
     चित्रा त्रिपाठी -"चैनल या कम्पनी में, एक दायरें में काम करना पड़ता है!अपने स्वतंत्र विचारों के लिए ही एक वेबसाइट शुरू की है !"
     मनोज बत्तरा -"क्या सचमुच ,आपके कहने का अर्थ है कि मीडिया के दायरों में आपका दम घुटता है ?.....असंगठित मीडिया के दायरों में आपका दम घुटना ,मेरी नज़र में ,भारतीय लोकतंत्र की एक असाधारण घटना है!मेरी सोच से भी ,बहुत ज्यादा बुरा हाल है ,लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ 'मीडिया 'का!क्या बनेगा मेरे बर्बाद इंडिया का ?"
      इस बातचीत को विराम देते हुए बत्रा ने ,चित्रा को उनके बारें में कहा -"स्वतंत्र विचारों की अभिव्यक्ति ,आपमें परोपकार ,दया ,उदारता ,विश्व -कल्याण ,समानता ,प्रेम ,श्रद्धा ,भक्ति आदि उच्च मानवीय गुणों को दर्शाती है !अद्भुत आपका व्यक्तित्व बाहर से दिखता था ,पर अंदर से भी है!.... आपके भीतर की मातृशक्ति और मानवता के आगे नतमस्तक होना चाहूँगा !नमन और हार्दिक अभिवादन ! 


चीफ एडिटर आचार्य मनोज बत्तरा




7/24/20

बाप में भी होती है ममता -वात्सल्य !-बर्बाद इंडिया / मनोज बत्रा (एडिटर)

सम्पादकीय- 

आचार्य मनोज बत्तरा के कीपैड से !


आप बीता एक सच्चा और मार्मिक प्रसंग! 
    

सहृदय बाप में भी होती है ममता -वात्सल्य !

    "मैया मोरी ,मैं नाहिं माखन खायों !"


     -"तो, किसने खायों ?"

     "मैया मोरी ,कबहुँ बढ़ेगी चोटी ?
     कितनी बार मोहें दूध पियत ,अबहुँ हैं यह छोटी !"

    -"मेरे लड्डू गोपाल !जेकर अमूल दूध पियत,तबहूं बढ़ती न ,तोरी चोटी !" 




     -तो देखा आपने ! वात्सल्य को लिखते -लिखते ,मुझमें भी ममता ,वात्सल्य और भक्ति के भाव आ गए !दरअसल , भक्ति -काल के शिरोमणि और सर्वोत्कृष्ट महाकवि सूरदास जी ,वात्सल्य का कोना -कोना झाँक आयें है !32 विद्याओं और 64 कलाओं से निर्मित ,महान कर्मयोगी  व विष्णु के पूर्ण अवतार भगवान् श्री कृष्ण की भक्ति में डूबे ,जन्मांध सूरदास जी ने अपने मन की आँखों से ,यशोधा मैया और बाल कृष्ण के संबंधों ,लीलाओं और वात्सल्य के उक्त जैसे अनेकों दुर्लभ और अद्भुत चित्र उकेरें है !उन जैसा कवि पुनः मिल पाना संभव नहीं है !
      अब ये भूमिका प्रस्तुत करने के बाद ,आधुनिक युग की "मीरा " महादेवी वर्मा जी के जीवन के उस प्रसंग की ओर , आपका ध्यान आकृष्ट करना चाहता हू ,जिसे बहुत कम लोग जानते है !

    "मैं लेटी थी ,वो मेरे ऊपर लेटा था !
     मैं उठ न सकी ,क्योंकि वो उठ न सका ,क्योंकि वो मेरा बेटा था !"
                                                                           (-महादेवी वर्मा )

      -ये जवाब था ,महादेवी वर्मा जी का ,उन श्रोताओं को, जो कवि-सम्मेलन में उनका काफी देर से इन्तजार कर रहे थे ,उनसे नाराज हो रहे थे !
     महादेवी वर्मा जी के जवाब में ,मर्यादा का अतिक्रमण ,सूक्ष्म -बुद्धि और वाक् -चातुर्य दिख रहा है ,किन्तु वात्सल्य का ऐसा अद्भुत उदाहरण भी, क्या हमें कहीं ओर देखने को मिला है ?

     "आंगन में फूल खिला था कोई ,
     महक माली की थी ,
     पर लूट गया भँवरा !"

      -ये वर्षों पहले मैंने लिखा था ,पड़ोस में हुई, जन्म के समय हुई, एक नवजात शिशु की मौत पर !

     "....जीवन ऐसे भी है,जो जिए ही नहीं !
     जिनको जीने से पहले फिजां खा गई !
     जिंदगी का सफ़र, है ये कैसा सफ़र!
     कोई समझा नहीं ,कोई जाना नहीं। .... "
             (-फिल्म -सफ़र /गायक -किशोर कुमार )

     उस समय मुझे लिखने का नया-नया शौक लगा था !कल्पना -शक्ति मुझमें बहुत थी!उस बच्चें की मौत के प्रति मुझमें जिज्ञासा रही !संवेदना ,दुःख -दर्द था ,पर उतना नहीं ,जितना किसी अपने  के जाने का हुआ मुझे !
 दुनिया के रंग,लोगो का असली चेहरा ,असली संवेदना ,असली दुःख-दर्द, मुझे उत्कर्ष ने सिखाया !उत्कर्ष-मेरा बेटा !36 दिन का मेहमान!



     मुझे उन दिनों समझ कम ही थी ,उस समय दादी के कहने में आकर ,मिसेज की पहली डिलीवरी हमने सरकारी अस्पताल में करवाई !उचित ट्रीटमेंट और सुविधाओं के अभाव आदि के चलते ,बच्चा नाड़वे के साथ लिपटा हुआ पैदा हुआ! डॉक्टरों ने नाड़वा काटकर ,बच्चे को अलग किया ,किन्तु बेटे को साँस की तकलीफ शुरू हो गई!लेडी डॉक्टर ने मुझसे क्षमा भी मांगी ,कि वह जच्चा-बच्चा की ठीक से केयर न कर सकी !उसे डर था कि हम उस पर कोई केस न कर दें !जीवन-मरण ईश्वर  के  हाथों में होता है ,यह सोचकर हमने डॉक्टर को कुछ नहीं  कहा!और हम जल्दबाजी में ,एम्बुलेंस करके, बच्चे को पी जी आई ,चंडीगढ़ ले गए !रास्ते में बच्चे को सांस की तकलीफ बढ़ रही थी!किन्हीं कारणों से ,एम्बुलेंस में रखा ऑक्सीजन -सिलेंडर बच्चे  को लग नहीं पाया!बच्चे की मौत के डर से हम काफी घबरा गए !हमने एम्बुलेंस की सारी खिड़कियां जल्दी -जल्दी खोल डाली ,ताकि बच्चा ताज़ी, तेज हवा में सांस ले सके !घबराहट में उस समय हमे यही सूझा !हमारे पास दूसरा कोई विकल्प भी नहीं था!बस, ईश्वर का सहारा था और हम  उसी से प्रार्थना करते हुए आगे बढ़ रहे थे!
    बच्चे के दादा ने जन्म के समय,उत्कर्ष की जीभ पर शहद से ॐ लिखा और उसका 'उत्कर्ष' नामकरण किया!बाद में ,मैंने कहीं पढ़ा था कि जन्म के समय बच्चे को कोई खाद्य पदार्थ या पेय पदार्थ नहीं  देना चाहिए,क्योंकि इससे उसे नुक्सान होता है !
    दिखने में बेहद सुन्दर ,गोल -मटोल,हल्का-फुल्का। लाल होंठो वाला था , मेरा बेटा !उसके बेहद सहनशील होने का प्रमाण भी , उस समय हमें मिला !दिन में 3-4 बार ग्लूकोस आदि के लिए, जब उसे सुइंया चुभाई जाती ,तो वह रोता  नहीं था!
    बेटे के दिल में 3 m m का छेद था !ट्रीटमेंट के लिए  हम बच्चे को एम्स अस्पताल ,दिल्ली तक ले गए! और मेरे मन में ये बात  भी चल रही थी कि चाहे मुझे अपने शरीर के अंग भी बेचने पड़े ,अमेरिका तक भी ,बच्चे  को बचाने के लिए ,इलाज करवाऊंगा !और ये  एक बाप की बच्चे के लिए ममता - वात्सल्य ही था कि मैंने अपने चाचा से, अपने 50 हज़ार रूपये लेने के लिए कहा -सुनी भी की!
   अंततः बच्चे को इन्फेक्शन हो गया !खून का रंग काला!होंठो का रंग उस समय शायद नीला होने लगा था!बच्चे ने 5 -6 दिन तक पेशाब नहीं किया ,तो नर्सों ने उसके अंग में ,मुलायम और बारीक क्लिनिकली रबड़ की ट्यूब डालकर ,उसका पेशाब बाहर निकाला !उसके अंतिम दिनों में, फैमिली के लोग घर आएं हुए थे !मैं बच्चे के पास अकेला था !उसे सांस की बेहद तकलीफ शुरू  हो गई!डॉक्टर्स ने  कह दिया कि  सांस वाला पम्प रुकना नहीं चाहिए!18 घंटे तक लगातार ,बिना रुके मैं सांस वाला पंप चलाकर ,उसे सांस देता रहा !हाथ का कचूमर बन चुका था!न जाने कैसे सांस वाला पंप, 18 घंटे तक चलाने को,मुझमें इतनी हिम्मत आ गई थी!मुझे था कि यदि मेरा हाथ रुका ,तो बच्चा बचेगा नहीं!ईश्वर से बार-बार प्रार्थना कर रहा था कि मेरे पिछले और अगले समस्त जन्मों के समस्त पुण्य मेरे बेटे को दे दें ,और मेरे बेटे को बचा दें!

UAE-based Indian couple, baby die in Oman accident | Uae – Gulf News

   36 वें दिन नौसिखिए डॉक्टर्स की टीम आई  और ड्रामें  करते हुए उन्होंने ऑक्सीजन तेज कर दी !पहले उस समय मुझे समझ नहीं आया कि उन्होंने क्या किया !... फिर शुरू हुआ बच्चे को बचाने  का ड्रामा!... सब ख़त्म हो चुका था !शायद जानबूझकर डॉक्टर्स ने बच्चे  को मार दिया !सारी उम्र ये सवाल साथ चलता रहा कि क्या मेडिकल साइंस में लाइलाज बिमारियों में रोगी को मारने का अधिकार होता है?
   उसके मरते वक़्त कहीं दूर मद्धम -मद्धम नगाड़े बज रहे थे!मैं सुन्न था!साक्षी -भाव से मेरी आत्मा, मेरे शरीर से अलग होकर, बेटे की मौत के दृश्य को देख रही थी !
  .... परिवार के लोग और कुछ लोकल रिश्तेदार आ चुके थे!हम सब दैनिक भास्कर ,चंडीगढ़- कार्यालय के समीप एक शमशान -घाट में बेटे को दफनाने ले गएँ!
   बच्चे को नहला-धुलाकर ,नए कपडे पहनाकर मेरी गोद में दे दिया गया !और उसकी आत्मा की शांति के लिए मंत्रो-उच्चारण शुरू हो गए !
   इधर मैं बच्चे को चुनड़ियाँ मार रहा था !चुँगटियाँ काट रहा था!और मन में बोल  रहा था कि बेटे ,उठ !नहीं तो ,अब तुझे मिट्टी में दफना देंगें !... नहीं उठा वो !क्यों उठता वो?36 दिन का  साथ  ही तो था हमारा! 36 दिन में जिंदगी और अपने की मौत का सबक मुझे सीखा गया वो!दुनिया का असली चेहरा दिखा गया वो!एक बाप  में भी ममता - वात्सल्य जगा गया वो !हमारी गोद उस पुण्य आत्मा  को पसंद नहीं आई ,तो मैंने उसको धरती माता की गोद  में अर्पित  कर दिया !

My birth story: I am a dad and I delivered my baby by accident ...

   .... मिसेज टूट चुकी थी!उसे सँभालने की जिम्मेवारी मेरी थी !उसको दिलासा देता रहा और मैंने खुद के आंसू पी लिए !
  और इस सारे प्रसंग में लोगो और रिश्तेदारों का सच भी सामने आया!कुछ ने पैसों की सहायता तो देनी चाही ,पर सुसराल और अपने परिवार केअलावा, कोई भी एक रात, हमारे साथ अस्तपताल में, साथ देने के लिए नहीं रुका !चाचे के साथ उन दिनों प्रॉपर्टी को लेकर उठापटक चल रही थी !वो ,दादी और 2 बुआओँ का परिवार बच्चे को देखने तक न आया!एक कजिन साली ने तो न जाने क्यों ,बच्चे की छठी की मिठाई का डिब्बा वापिस भिजवा दिया!बच्चे की मौत पर सब रोने आ गए !ऐसे सब लोगों को छोड़ने का, उस समय फैसला मैंने ले लिया!आज मैं उन अनजान लोगों के साथ जीता हूँ ,जो दिल से मेरा साथ देते है !इज्जत करते है!

     "अपने ही गिराते है ,नशेमन पर बिजलियाँ !नशेमन पर बिजलियाँ !
गैरों ने आके ,दामन थाम लिया है!"

     इन ड्रामों से बिलकुल अलग ,मेरे दिल के काफी करीब मेरी एक कजिन ने मुझसे सही संवेदना और सांत्वना व्यक्त की-"मनोज !ईश्वर फिर देगा !"यह सुनकर मेरे सब्र का बाँध टूट गया और एक बाप की ममता अश्रुओं में बहने लगी!
     आज भी बेटे को याद करते हुए सोचता हु कि भगवान् तूने बेटा वापिस लेना ही था ,तो दिया ही क्यों था!क्या ये उसके और हमारे भी कर्म-फल थे ?हम समाचार -पत्रों में अक्सर पढ़ते है कि स्कूल -बस/वैन आदि के दुर्घटना-ग्रस्त होने से इतने बच्चों की मौत हो गई!इतने बच्चें नदी में डूब गए !हे भगवान् ,इन बच्चों को आप अपने खेल ,अपनी लीलाओं  ,कर्मफलों और मौत आदि से क्यों दूर नहीं रखते? बच्चों को बख्शकर भी तो, आपका संसार चल सकता है!बच्चें  हम माता-पिता की जिंदगी है!हमारा सहारा हैं!हमारे खिलोनें है !हमारी चेतना है और बच्चों के रूप में तेरी ही तो भक्ति है!सृष्टि को आगे बढ़ाने में ,तेरे द्वारा हमें सौंपी गई जिम्मेदारी है!

School Bus Accident in shivpuri, many child injured

    आज किसी के भी बच्चे को चहकते -महकते ,मुस्कुराते -खिलखिलाते देखता हू ,तो उत्कर्ष का गम प्राय भूल जाता हू !बच्चों की मौज-मस्ती ,तुतलाती बातें ,हंसी -मज़ाक,कलरव ,अठखेलियां ,मासूमियत ,सादगी ,भोलापन आदि तरों -ताजगी के साथ जीने की राह दिखाते है!देखने के लिए सूक्ष्म- नेत्र और भाव चाहिए ,बच्चो में ईश्वर के दर्शन हो जायेंगे!

Injury prevention - Introduction | Encyclopedia on Early Childhood ...

   बस ,मन में ये विचार /भाव आता है कि ये दूसरे के बच्चें मेरे कुछ नहीं लगते !इनमें मेरा अंश भी नहीं है !पर इन्होने मेरे चेहरे पर मुस्कान बिखेरी है !मेरे मन में स्फूर्ति भरी है!बस ,यही तो सच्चा रिश्ता है हमारे बीच!दोस्ती ,अपनापन ,सुरक्षा और केयर बनती है बच्चों के लिए!अब इसको उनको कोई रक्त -सम्बन्धी दें या कोई भी इंसान!सचमुच ,बच्चें तो सांझा होते है ,शिल्पा जी!
   समय बड़े-बड़े जख्म भर  देता है !आज उसका सही चेहरा मैं भूल गया हूँ !कभी याद  आने पर आँखें गीली हो जाती है ,जैसे कि अब लिखते -लिखते हो रही है !भाग-दौड़ ,उलझन  में हम उत्कर्ष की एक भी फोटो लें नहीं पाएं !जीवन -भर  ये अफ़सोस भी साथ चलता रहेगा !


उत्कर्ष से छोटी समिधा बिटिया !



चीफ एडिटर आचार्य मनोज बत्तरा








7/23/20

HDFC बैंक -मैनेजर की ईमानदारी से पत्रकार मनोज बत्रा बागोंबाग़ !-बर्बाद इंडिया / मनोज बत्रा (एडिटर)

HDFC बैंक -मैनेजर की ईमानदारी से पत्रकार मनोज बत्रा बागोंबाग़ !

23 जुलाई ,2020 . 
राजपुरा (पंजाब ). (ईश्वर आज़ाद द्वारा ). 

     कैलिबर मार्किट ,राजपुरा स्थित hdfc बैंक-शाखा के मैनेजर सरदार दविंदर सिंह तलवार जी की ईमानदारी देखकर ,"बर्बाद इंडिया "के मुख्य संपादक ,पत्रकार ,साहित्यकार और फिल्म-निर्देशक मनोज बत्तरा बेहद उत्साहित ,प्रफुल्लित और बागोंबाग़ है !उन्होंने बताया कि उन्होंने ऐसी व्यक्तिगत और संस्थागत ईमानदारी अपने जीवन पहले कभी नहीं देखी !सचमुच,दुनिया में अच्छे ,पॉजिटिव और ईमानदार लोग अभी जिन्दा है!
     दरअसल ,बत्रा की धर्म -पत्नी श्रीमती छाया बत्रा ने अपना बचत-खाता ,किन्ही कारणों से उक्त ब्रांच से कुछ दिन पहले बंद करवाया था ! और इस खातें का अंतिम बैलेंस 30 पैसे शेष रह गया था !
    बत्तरा ने बताया कि उनकी पत्नी के इस खातें में बकाया 30 पैसे का भुगतान,बैंक ने  MANAGER 'S CHEQUE भेजकर किया गया !यह चेक कुरिअर द्वारा उन्हें प्राप्त हुआ है!



    बत्तरा ने सकारात्मक चुटकी लेते हुए भी आगे कहा कि 30 पैसे के भुगतान के लिए ,किसी कानून के अंतर्गत ही ,खाता निल करने के लिए ही ,बैंक-मैनेजर ने 20 -30 रूपये कुरिअर पर भी खर्च किये होंगे !सचमुच ,ऐसे व्यक्ति और बैंक साधुवाद की पात्र है !
   बत्तरा ने आम जनता से अपील की है कि हमारी दुनिया और जरूरतों को समझने वाले इस ईमानदार HDFC बैंक में खाता खुलवा कर बैंकिंग सेवाओं का आनंद जरूर लें!


चीफ एडिटर आचार्य मनोज बत्तरा


7/21/20

मनोज बत्रा दवारा सम्पादित कविता-संग्रह "फड़फड़ाती उड़ान "हेतू कवियत्री रेखा शर्मा "रुद्राक्षी "पुरस्कृत!-बर्बाद इंडिया / मनोज बत्रा (एडिटर )

मनोज बत्रा दवारा सम्पादित कविता-संग्रह "फड़फड़ाती उड़ान "हेतू कवियत्री रेखा शर्मा "रुद्राक्षी "पुरस्कृत!

20 जुलाई ,2020 .
राजपुरा (पंजाब ). (ईश्वर आज़ाद द्वारा ).

     रुद्राक्षी न्यूज़ -मैगज़ीन में प्रकाशित कविता-संग्रह "फड़फड़ाती उड़ान" के लिए ,कवियत्री रेखा शर्मा"रुद्राक्षी " को "बर्बाद इंडिया "के मुख्य सम्पादक ,साहित्यकार और वरिष्ठ पत्रकार मनोज बत्रा द्वारा पुरस्कृत किया गया!सम्मान-स्वरूप रेखा शर्मा को एक आध्यात्मिक विषय की पुस्तक भिजवाई गई !



     लगभग 100 कविताओं के इस बेहतरीन कविता-संग्रह में प्रेम के विरह ,दर्द,वेदना तड़प आदि  के प्रमुख रूप से "रुद्राक्षी "द्वारा अद्भुत चित्र उकेरे गए है!
      इसके अतिरिक्त सामाजिक ,धार्मिक और आध्यात्मिक आदि विषयों पर भी पर्याप्त कवितायेँ, ध्यान आकर्षित करती है !बलात्कार ,हिजड़ों की जिंदगी ,वैश्या की जिंदगी ,नारी की उपेक्षा और पर्यावरण आदि पर लिखी कवितायेँ नवीन दृष्टिकोण प्रस्तुत करती है !
     नई दिल्ली निवासी रेखा शर्मा "रुद्राक्षी ",रुद्राक्षी न्यूज़-मैगज़ीन की चीफ एडिटर भी है !साथ ही वे समाज में कवियत्री ,लेखिका ,स्वतंत्र पत्रकार ,समाज-सेविका ,कौंसलर और फिल्म-निर्देशक आदि की भी भूमिका निभा रही है !



      रेखा शर्मा ने बताया कि इस कविता -संग्रह की प्रेरणा उन्हें प्रसिद्ध फिल्म गीतकार श्री गुलजार साहेब से मिली!
       रेखा शर्मा द्वारा लिखे कविता -संग्रह "फड़फड़ाती उड़ान "की कंप्यूटर -सेटिंग और संपादन स्वयं एडिटर मनोज बत्रा द्वारा किया गया है !

रेखा शर्मा की कुछ कविताओं पर एक नज़र !

बेजुबान जीव का दर्द -

हां वो पिंजरा मेरा घर नहीं था
मैं उस पिंजरे का मेहमान था
मैं अपनी आज़ादी के लिए
लड़ नहीं पाया,
क्योंकि मैं बेजुबान था!           

अपराधियों के प्रति आक्रोश-

जला दो एक दो हैवानों को
जिन्दा शहर में,
फिर देखते है,
बेटियों पे कहर‌ ढायेंगा कौन ?

एक पत्नी का दर्द -

मैं तो तुम्हारी पत्नी हूँ न!
क्यों मुझे सताया जाता है?
तुम नहीं समझोगे
तो किससे अपनी बात कहुँ!
तुम नहीं सुनोगे
तो किससे अपने राज़ कहुँ!

नारी की उपेक्षा -

क्यूं आखिर क्यूं ,पुरुष- प्रधान को. हमारे वजूद का ठेकेदार बताया जाता है?
क्यूं हमारे एहसासों को हर बार दबाया जाता है?


धर्म के ठेकेदारों को नसीयत-

ढूंढो खोजों  बस खोया है इन्साफ कहीं!
बस खोया है ईमान कहीं!

(नोट :-यहाँ किन्ही कारणों से व्याकरण की अशुद्धियाँ है ,जिसका हमें खेद है !-चीफ एडिटर मनोज बत्तरा )


चीफ एडिटर आचार्य मनोज बत्तरा


रुद्राक्षी न्यूज़ -मैगज़ीन का लिंक -

7/19/20

मिसेज इंडिया द्वारा पत्रकार मनोज बत्तरा हेतु पुरस्कार-घोषणा!-बर्बाद इंडिया / मनोज बत्रा (एडिटर )

मिसेज इंडिया द्वारा पत्रकार मनोज बत्तरा हेतु पुरस्कार-घोषणा!





18जुलाई ,2020 .
शिमला (हिमाचल ). (ईश्वर आज़ाद द्वारा ).

    शिमला,हिमाचल की रहने वाली, मिसेज इंडिया ,2018 ,नेशनल अवार्डी साहित्यकार और अगर्णीय समाज-सेविका श्रीमती कंचन शर्मा द्वारा ,पूर्व में अपने दवारा संचालित एक साहित्यिक प्रतियोगिता में,पत्रकार और विचारक श्री मनोज बत्तरा को भी विजेता घोषित किया!





    विचारक मनोज बत्रा के सम्मान में ,पुरस्कार -स्वरूप ,कंचन शर्मा ने अपने द्वारा लिखी पुस्तक उन्हें भेंट/भिजवाने की बात कही !किन्तु बत्रा ने डाक से ये उपहार लेने के लिए मना कर दिया!
    विचारक मनोज बत्रा ने साहित्यकार कंचन शर्मा से विनम्र कहा कि डाकिये से उपहार लेने में मुझे कहाँ आनंद आएगा !मेरी लालसा ,अधीरता तो आपके कर-कमलों से है!आपसे सम्मानित होना,मतलब खुद के जीवन का सार्थक होना है!
    दरअसल ,मिसेज इंडिया रही श्रीमती कंचन शर्मा ने ,हिमाचल की संस्कृति से जुड़े एक चित्र पर ,प्रतियोगिता के अंतर्गत ,बुद्धिजीवियों ,विचारकों आदि से विचार आमंत्रित किये थे!ढेरों विचारों में विचारक मनोज बत्रा के विचार को भी प्रमुखता दी गई और उन्हें भी विजेता घोषित किया गया !




    विचारक बत्रा ने उक्त चित्र पर अपने ये विचार व्यक्त किये -
"जीभ की कोमलता ,कोमल पुष्प की भांति समर्पित ,कटने के बाद वाणी-विकारों से मुक्ति उपरांत अंतर्मन की शुद्धि तथा रक्त -प्रवाह, भक्ति में प्रवाहित होने का प्रतीक है!"


चीफ एडिटर आचार्य मनोज बत्तरा


7/11/20

दैनिक ट्रिब्यून द्वारा पत्रकार मनोज बत्तरा पुरस्कृत !-बर्बाद इंडिया /मनोज बत्रा (एडिटर )

दैनिक ट्रिब्यून द्वारा पत्रकार मनोज बत्तरा पुरस्कृत !

10 जुलाई,2020.
राजपुरा (पंजाब ).(ईश्वर आज़ाद द्वारा ).

     दैनिक ट्रिब्यून,चंडीगढ़ द्वारा ,बर्बाद इंडिया  न्यूज़ के मुख्य संपादक,फिल्म-निर्देशक,पत्रकार व साहित्यकार  मनोज बत्तरा को सम्मान दिया गया।



     सम्मान-स्वरूप, हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री तथा महामहिम राज्यपाल से सम्मानित, डॉक्टर मधुकांत के लघु-कथा-संग्रह"तूणीर " की पुस्तक भिजवाई गई !






   यह पुस्तक दैनिक ट्रिब्यून ,चंडीगढ़ के मुख्य संपादक श्री राज कुमार सिंह द्वारा, अपने प्रमाणित हस्ताक्षर के साथ, बत्तरा को भिजवाई गई।



      आपको जानकारी दें दें कि दैनिक ट्रिब्यून के संपादक द्वारा ,अपने सम्पादकीय -पृष्ठ पर "जन -संसद" नामक कॉलम के लिए, प्रबुद्ध और विचारशील पाठकों से "चीनी उत्पादों के बहिष्कार की तार्किकता "  विषय में विचार आमंत्रित किये थे।
       अपने विचारों के अंतर्गत ,बत्तरा ने चीनी -सामान के बहिष्कार की पुरजोर वकालत की और इस बात पर जोर दिया कि चीनी -सामान का ,जनता से पहले सरकार बहिष्कार करें।
       यहाँ यह जानना भी जरूरी है कि इस पत्र के प्रकाशित होने से पहले ही ,भारत सरकार ने ,भारत की सम्प्रभुता और रक्षा का बहाना बनाकर ,चीन के बहुत सारे एप्प प्रतिबंधित करके ,गलवान घाटी में ,चीन से झड़प में शहीद हुए सैनिकों का बदला ले लिया। 
       6 जुलाई,2020 को बत्तरा के विचारों के आशय का सम्पादित और संक्षिप्त पत्र ,पुरस्कृत पत्र के रूप में,दैनिक ट्रिब्यून के चंडीगढ़ ,करनाल और गुड़गांव संस्करण में  प्रकाशित हुआ।




     बहुत बड़ी सर्कुलेशन वाले और बेहद सम्मानित पत्र "दैनिक ट्रिब्यून" से सम्मान पार कर ,बत्तरा बेहद उत्साहित और प्रफुलित है। वे दैनिक ट्रिब्यून के संपादक -मंडल के हृदय से आभारी है।


मनोज बत्तरा  का विस्तृत -पत्र -


चीनी उत्पादों के बहिष्कार की तार्किकता !



चीनी सामान का, जनता से पहले सरकार बहिष्कार करें!-आचार्य मनोज बत्रा 

India said tata-byebye to Chinese products by boycotting it


     देश में चीनी सामान के बहिष्कार की मांग समय -2 पर ,पूर्व में उठती रही है !क्योंकि बहुत सारे लोग स्वदेशी सामान के उपयोग को निश्चित करके ,भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूती देना चाहते है!आज वर्तमान में ,गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों की घात लगाकर,चीनी सैनिकों द्वारा निर्मम हत्या,उनकी शहादत ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया !

हर कोई दुत्कार रहा चीन में बने ...

    फलस्वरूप प्रत्युत्तर में ,चीनी सामान के बहिष्कार की मांग ,भारत में जोर पकड़ रही है !
  क्या इस दिशा में सरकार के पास कोई ठोस नीति है ?इस प्रश्न के जवाब में यही कहा जा सकता है कि नहीं है !क्योंकि सरकार का पूर्व व्यवहार इस पक्ष में दिखाई नहीं देता !वीवो जैसी कम्पनी को लगभग 441 करोड़ के कंटरोपट /टेंडर दिए जाते है ! पटेल की मूर्ति तक चीन से मंगवाई जाती है !ये मूर्ति देश में बन सकती थी !

OLX पर 'स्टेच्यू ऑफ यूनिटी' को बेचने ...

  क्या हम चीनी सामान का विकल्प दे सकते है ?शायद समान विकल्प नहीं दे सकते !कुछ विभिन्न उत्पादों के लिए अनुपलब्ध कच्चा माल,चीन से ज्यादा प्रोडक्शन ऑफ़ कास्ट,उच्च क्वालिटी और उच्च टेक्नोलॉजी का आभाव ,पर्यावरण व श्रम कानूनों का सख्त होना तथा शिथिल प्रशासन आदि इसके पीछे के कारण है!
  क्या लोग सस्ते का मोह छोड़कर ,देसी उत्पादों को प्राथमिकता देंगे ?देखिए ,जब प्रश्न देश -भक्ति का होता है ,मातृभूमि का होता है ,तो देशभक्त जनता सस्ते का मोह नहीं करेंगी !  देसी उत्पादों को प्राथमिकता जरूर देगी ! परिणाम आने शुरू तो हो गए है !बहुत सारे लोगो ने चीनी एप्स डिलीट किये है !

RepublicDay2019: आज भी दिल को छू लेते हैं ये ...

  और अगर देश में स्वदेशी वस्तुओं के अधिकतम उपयोग का कानून बन जाये !कम आर्थिक -विषमता हो !धन का समान वितरण हो !प्राकृतिक संसाधनों पर समाजवादी व साम्यवादी दृष्टिकोण हो !भ्र्ष्टाचार खत्म हो ,तो देश आर्थिक रूप से सबल बन जायेगा !
    किन्तु "जैसा राजा ,वैसी प्रजा"वाली कहावत को भी नहीं भूलना चाहिए !यदि सरकार चीनी सामान के बहिष्कार की पहल नहीं करेंगी ,तो हममें से बहुत सारे भोले-भाले लोग ,स्वदेशी के महत्व को समझ नहीं पाएंगे !भारत सरकार को चाहिए कि वीवो सहित समस्त चीनी कंपनियों के कंटरोपट ,टेंडर रद्द करें !चीनी सामान के उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध लगाएं ! 
   निष्कर्षः चीन को सबक सीखने के उद्देश्य से ,आर्थिक चोट पहुँचाने के लिए ,भारत सरकार को ,जनता से पहले बहिष्कार करना होगा !

Modi should learn from Nehru to improve india-china relations ...


चीफ एडिटर आचार्य मनोज बत्तरा


  

7/8/20

विकास दुबे जैसे अपराधियों को राजनितिक सांठ -गांठ पर कैसे रोक लगे ?-बर्बाद इंडिया /मनोज बत्रा (एडिटर )

सम्पादकीय- 

आचार्य मनोज बत्तरा के कीपैड से !


अपराधियों को राजनितिक -संरक्षण /सांठ -गांठ पर कैसे रोक लगे ?

     कुख्यात अपराधी विकास दुबे द्वारा, कानपुर में एक डी एस पी समेत आठ पुलिसकर्मियों की निर्मम हत्या का दुस्साहस,अपराधियों का राजनितिक सांठ-गांठ  स्पस्ट करता है। समय-समय पर कोर्ट और चुनाव- आयोग इस दिशा में पहल करते रहे है, किन्तु राजनितिक दलों की इच्छा- शक्ति के बिना, तमाम कोशिशें  विफल रही है!

vikas dube के लिए इमेज परिणाम

      एक विद्वान ने कहा था कि अपराधी जन्मजात नहीं होते ,बल्कि बनाये जाते है !बहुत सारे कारण  है ,जिनसे अपराधी बन जाते है या बनायें जाते है !जैविक- कारण ,मनोवैज्ञानिक -कारण ,गरीबी ,बेरोजगारी ,भौतिकवाद ,जटिलताएं,आगे बढ़ने की होड़ ,धन-तन-पिपासा ,अतिमहत्वांक्षा आदि ही ऐसे ही प्रमुख कारण है !अपराधियों को मुख्यतया चार श्रेणियों -स्वाभाविक ,सामान्य ,मशीनरी और सफेदपोश अपराधी ,में बांटा जा सकता है !सर्वप्रथम ,सकारात्मक वैचारिक -क्रांति के साथ-साथ ,निश्चित रूप से व्यवस्था और नीतियों में परिवर्तन करके ,इन कारणों को कम करना होगा ,ताकि अधिकांश अपराधी बने ही न !




    इसके पश्चात ,अपराध और अपराधी को पनपने ही न दिया जाये !इसके लिए प्रशासन और कानून को हाईटेक  व सख्त होना होगा !सविंधान में परिवर्तन करके ,पुलिस को राज्य -सूची के साथ ही ,केंद्र -सूची में भी डालने की आवश्कयता है ! स्थानीय -स्तर पर राज्य -पुलिस ,केंद्रीय -बल ,सरकारी गुप्तचर-विभाग ,सम्बंधित NGO और सामाजिक-कानूनी संस्थाओं आदि के प्रतिनिधियों व सदस्यों को संयुक्त -रूप से संगठित कर ,प्रशासनिक गतिविधियों को पारदर्शी रूप में अंजाम देना होगा !अपराधियों में  इस संयुक्त -प्रशासन और सख्त कानून का डर भी अपराध पर निश्चित रूप से अंकुश लगाएगा !

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   अब मुख्यता ,अपराधियों को राजनितिक -संरक्षण /सांठ-गांठ पर कैसे रोक लगे ?इसके लिए ,एक ऐसे कानून के निर्माण और शत -प्रतिशत क्रियावन्यन की अतिआवश्यकता है ,जो स्वच्छ राजनीति  के लिए, ईमानदार और स्वच्छ छवि वाले ,पढ़े -लिखे देशभक्त लोगों को ही मुख्यता ,लोकतान्त्रिक परम्पराओं और मूल्यों का हिस्सा बनायें !यहाँ सविंधान की मूल -भावना और उदेश्यों का भी ध्यान रखा जाएँ!



   साथ ही राष्ट्रपति और सुप्रीम कोर्ट की शक्तियों में भी वृद्धि की जाये,कि यदि सरकार ,विपक्षी-दल या अन्य दल /संस्था /संगठन आदि भर्ष्टाचार व आपराधिक गतिविधियों या अपराधियों को संरक्षण/सांठ-गाँठ में लिप्त पाया जाता है ,तो उनकी तुरंत बर्खास्ती हो!उनकी चल-अचल संपत्ति जब्त की जाएँ और उन पर आपराधिक व देश-द्रोह का मुकदमा चलाया जाये !और ऐसे केसों में त्वरित फैसला हो!




चीफ एडिटर आचार्य मनोज बत्तरा