7/6/20

तेल के दामों में कमी का लाभ जनता को क्यों नहीं ?-बर्बाद इंडिया /मनोज बत्रा (एडिटर )

सम्पादकीय- 


आचार्य मनोज बत्तरा के कीपैड से !


तेल के दामों में कमी का लाभ जनता को क्यों नहीं ?
    
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     बजट -निर्धारण में धन -आगमन और विभिन्न क्षेत्रों के विकास व लोक-कल्याणकारी योजनाओं आदि पर व्यय ,सब निश्चित होता है। सैद्धांतिक रूप और आर्थिक -दृष्टिकोण से ,सरकार आय -व्यय के असंतुलन पर ,घाटे की अर्थव्यवस्था को अपनाती है और प्राय उसका प्रयास रहता है कि वह इस घाटे की अर्थव्यवस्था को कम से कम अपनाएं। 
     इसके साथ ही ,व्यावहारिक रूप से ,सरकार की सोच यह भी रहती है कि वह लोक -कल्याणकारी योजनाओं को भी बजट के अनुसार चलाएं ,न कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कीमतों के उतार -चढ़ाव के रहते ,जनता को अतिरिक्त लाभ पहुंचायें !क्योंकि इसके पीछे कहीं न कहीं सरकार की सोच ,प्राय लोक -कल्याणकारी होते हुए भी ,व्यापारिक रहती है। वह अपना राजस्व कम कर ,बजट को प्रभावित नहीं होने देती !वह अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कीमतों के गिरने का लाभ उठाते हुए ,राजस्व बढ़ाती है और घाटे की अर्थव्यवस्था को कम करती है।फलस्वरूप जनता को ये वाले लाभ मिल नहीं पातें !

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    और सरकार के इस व्यावहारिक रूप का दूसरा पक्ष भी है!अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कीमतों के बढ़ने पर ,सरकार दोहरापन दिखाती है। वह जनता पर बढ़ी कीमतों का बोझ डाल देती है!जोकि नैतिक नहीं है !बस यहीं से सरकार पर ऊँगली उठनी शुरू हो जाती है। इसके पीछे भी दो कारण समझ आते है - सरकार द्वारा राजस्व बढ़ाना और घाटे की अर्थव्यवस्था को कम करना !पर अगर सूक्ष्म -रूप से विचार किया जाएँ ,तो संभवतः राजस्व बढ़ाने के विकल्प  व संसाधनों की कमी ,भर्ष्टाचार ,आर्थिक -नीतियां ,आर्थिक -विषमता,उपनिवेश और एक सम्रग आर्थिक दृष्टिकोण आदि सरकार के जनता के प्रति सौतेले व्यवहार के प्रमुख कारण है! 
    एक लोक-कल्याणकारी सरकार को संविधान के लोक-कल्याणकारी नीति -निर्देशक तत्वों का स्वेच्छा से पालन करना चाहिए। सरकार को चाहिए कि तेल के दामों में अनावश्यक वृद्धि करने और आम जनता पर अनावश्यक कर लगाने से बचना चाहिए। अन्यथा ,विशेषतः किसानों की परेशानियां बढ़ेगी और आम जनता को महंगाई की मार झेलनी पड़ेगी। अंतर्राष्ट्रीय परिस्थितयों में देश को आज उदार नीति की आवश्यकता है। 

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चीफ एडिटर आचार्य मनोज बत्तरा