सम्पादकीय-
आचार्य मनोज बत्तरा के कीपैड से !
21 जून ,2020 .
आज एक खगोलीय घटना घटी। सूर्य -ग्रहण लगा।पूरी दुनिया की नज़रें इस तरह के ग्रहण पर टिकी थी।क्योंकि 500 वर्षों के बाद, ग्रह -नक्षत्रों का यह दुर्लभ संयोग था। ये वलयाकार सूर्य -ग्रहण था।
जब सूरज और धरती के बीच, चंदा मामा आ जाते है ,तो सूरज का प्रकाश धरती पर बेहद मंद पड़ जाता है ,जैसे 1000 वाट का जलता हुआ बल्ब ,10 वाट का हो गया हो। तब धरती के बहुत से हिस्सों में ,क्रमश:काली छाया आ जाती है।इसी को ज्योतिष -शास्त्र के अनुसार ,सूर्य -ग्रहण कहा जाता है।
सूर्य -ग्रहण आज सुबह लगभग 9 बजकर 15 मिनट पर आरम्भ हुआ। और लगभग 6 घंटे का सफर तय करता हुआ ,दोपहर लगभग 3 बजे समाप्त हुआ !इसका असर 15 दिन तक माना जा रहा है।
भारत के ज्योतिषियों के अनुसार ,सूर्य -ग्रहण!
भारत के ज्योतिषियों के अनुसार ,सूर्य -ग्रहण सूक्ष्म और स्थूल ,दो प्रकार का होता है।ग्रहण में आसुरी शक्तियां बढ़ जाती है। प्राकृतिक -आपदा ,अनहोनी की सम्भावना रहती है। मानव की सोच ,चिंतन और भावनाओं में भी प्राय बदलाव आ जाता है।
इन लोगों के अनुसार,सूर्य -ग्रहण के समय (ग्रहण से 12 घंटे पूर्व 'सूतक 'में भी )फल ,फूल ,लकड़ी ,तुलसी जी के पौधे ,देवी -देवताओं के चित्रों आदि को छूना नहीं चाहियें। बच्चों ,बूढ़ों और रोगी को छोकर ,सभी को भोजन नहीं करना चाहिए। क्योंकि इस समय भोजन में विषाणु पड़ जाते है।जोकि शरीर को नुक्सान देते है!सूतक -काल में ही खाने-पीने की चीजों में तुलसी जी रख देने चाहिए।
ग्रहण में सूरज को नहीं देखना चाहिए ,नहीं तो अँधा होने की प्रबल संभावना रहती है। ग्रहण के समय तरल पदार्थ लिए जा सकते है। ग्रहण में अमंगल न हो ,इसलिये भगवान सूर्य सहित सभी देवी-देवताओं की पूजा -अर्चना ,गायत्री -मन्त्र ,महामृत्युंजय -मन्त्र आदि का उच्चारण करना चाहिए। बुराइयों से बचना चाहियें। क्योंकि इस समय भक्ति करने से ,अनंत गुणा फल प्राप्त होता है। कुरुक्षेत्र के ब्रह्म -सरोवर में इस ग्रहण के समय स्नान करने से ,अश्वमेध यज्ञ के बराबर फल मिलता है। ग्रहण के बाद नहा -धोकर ,पूजा-पाठ करके भोजन करना चाहिए।
भारत के वरिष्ठ वैज्ञानिकों के अनुसार ,सूर्य -ग्रहण!
भारत के वरिष्ठ वैज्ञानिकों के अनुसार ,सूर्य -ग्रहण ,प्रकृति की एक अद्भुत घटना है। हमारे लिए यह एक उत्सव है। उनके अनुसार ,किसी भी प्रकार के अंधविश्वास में नहीं पड़ना चाहिए। और बच्चों को विज्ञान के अनुसार ही ,सूर्य -ग्रहण के लिए अपना आचरण रखना चाहिए।
इनके अनुसार ,ग्रहण के समय खाना खाया जा सकता है। तरल -पदार्थ लिए जा सकते है।ये बताते है ,कि सूर्य -ग्रहण के समय ,हानिकारक पराबैंगनी किरणें निकलती है,जोकि आँख के रेटिना को नष्ट कर सकती है ,जिससे कि अंधे हो सकतें है। 3 सेकंड से अधिक रेटिना ऐसी किरणों को झेल नहीं पाता है। रेटिना नष्ट होने पर दर्द नहीं होता ,क्योंकि रेटिना में दर्द की नसें नहीं होती।सूर्य -ग्रहण में सूर्य देखने के लिए,विशेष प्रकार के चश्में और टेलीस्कोप का प्रयोग करना चाहिए।
ज्योतिष और विज्ञान की बहस में ,वैज्ञानिक कहते है कि वे सिर्फ लोगों को समझा सकते है !उनका भी मानना है कि आस्था पर तर्क का असर नहीं होता!
लोग डरें हुए थे !
ज्योतिषियों के अनुसार ,आज का सूर्य-ग्रहण अशुभ स्थितियों में लगा था !अनहोनी ,प्राकृतिक आपदाओं की संभावना से लोग डरें हुए भी थे ,जिस कारण लोग पूजा -अर्चना में लगे रहे और समस्त माहौल भक्तिमय हो गया।
चैनल मालिकों को मोटी आमदनी !
इसके अतिरिक्त,यू -टूयूब पर भी अनेकोनेक लोग भक्ति वीडियो देखने लगें ,जिस कारण विभिन्न चैनल के सब्सक्राइबर और व्यूज बढ़ गए। सबको मोटी आमदनी होगी।
कोरोना संकट में कमी आएगी ,के पीछे कोई तर्क नहीं !
कुछ चैनल्स को यह भी कहते सुना और देखा गया कि इस ग्रहण के बाद ,कोरोना -संकट में कमी आयेगी !पर इसके पीछे कोई तर्क नहीं दिखाया गया !
अफ्रीका से चलकर भारत ,पाकिस्तान होता हुआ ,सूर्य -ग्रहण चीन में जाकर समाप्त हुआ !
मेरा मानना है कि कुदरत हो या महान पुरुष ,इनका कोई भी कार्य, बिना उद्देश्य के नहीं होता !अफ्रीका से चलकर भारत ,पाकिस्तान होता हुआ ,सूर्य -ग्रहण चीन में जाकर समाप्त हुआ ! अगर मैं अपनी सूक्ष्म-बुद्धि (न कि छोटी बुद्धि )पर विश्वास करूँ ,तो मुझे ऐसा प्रतीत होता है ,कि ग्रहण का अंत चीन में ही क्यों ?और ऐसे समय में ही क्यों ,जब चीन के कारण ,दुनिया में लाखों लोग ,कोरोना से संक्रमित है !इस अंत में क्या छिपा है ! कहीं कुदरत चीन को यह सन्देश तो नहीं दे रही ,कि अपने अहंकार ,हवस ,साम्राज्यवादी ,बाज़ारवादी ,भोगवादी ,मानवता विरोधी और कुदरत विरोधी (कोरोना -संकट ) नीतियों में सुधार ला ,नहीं तो ,तीसरा विश्व-युद्ध निश्चित रूप से होगा और तेरा अंत भी निश्चित है !
(मुझे इस बात की फिलहाल जानकारी नहीं है ,कि पूर्व सूर्य -ग्रहणों में कुछ ग्रहण चीन में ख़त्म हुए हो !)
मुझे लगता है कि कुदरत चीन को सुधरने का ,युद्ध की विभीषिका से ,दुनिया को बचाने का एक अवसर दे रही है ! अब देखना होगा कि चालबाज चीन दुनिया को किस और धकेलता है !
-चीफ एडिटर आचार्य मनोज बत्तरा
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