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9/12/20

टेली-कॉलिंगनार ! रिश्तों के गेम -शो 'कौन बनेगा रिश्तेदार ?'में बत्रा ने करोड़ों की बाजी जीती ! रिश्तों में बातें छिपाना ,मतलब खुद का गलत होना !@को -एडिटर शिल्पा 'शैली '-बर्बाद इंडिया / मनोज बत्रा (एडिटर)

टेली-कॉलिंगनार !

रिश्तों के गेम -शो 'कौन बनेगा रिश्तेदार ?'में बत्रा ने करोड़ों की बाजी जीती !

रिश्तों में बातें छिपाना ,मतलब खुद का गलत होना !@को -एडिटर शिल्पा 'शैली '

दिनांक -12 सितम्बर ,2020 .
राजपुरा -चंडीगढ़ (पंजाब ). (मनोज बत्तरा द्वारा ).

     आज प्रात कोई दस बजे,इंट्यूशन हो रही थी ,कि जैसे शिल्पा 'शैली 'जी मुझे याद कर रही हो !बस ,फिर क्या था ,मैंने कॉल घुमा दिया। और बातों का सिलसिला जारी हो गया।


व्यक्तिगत कारणों से शिल्पा "शैली " के स्थान पर,प्रतीक -रूप में
अभिनेत्री  शिल्पा शैट्टी का चित्र लगाया गया है !
 

     -'सुबह -सुबह कॉल कर रहा हू ,इसलिए कि देखता हू कि आपमें कितनी एनर्जी है। 'मेरे इस कथन पर वे मुस्कुरा दी।
     -'शिल्पा जी ,आपकी ये बात पूरी तरह सच निकली कि समय ,स्वयं समाधान लेकर आता है।मेरी बेटी की पूरी फीस स्कूल ने माफ़ कर दी। नहीं तो हालात ने कमर तोड़ दी थी।'
     -'चलिए ,आपका एक तरफ से बर्डन कम हुआ। 'वे खुश होकर बोली।
     आगे बात उनके ऑफिस की चली ,तो मैंने कहा कि'यदि कटमर की नियत लोन भरने की है ,तो कंपनी को भी ,उसके हालातों को समझते हुए ,उदारता बरतनी चाहिए।'इस पर शिल्पा जी ने कहा कि 'व्यवहार में ऐसा नहीं होता। '
     'मैंने भी आज रास्ता तलाशने की भरपूर कोशिश की ,कि कोई एक तो सच्चा इंसान मिलेगा ,जो समस्या को सिरे चढ़ाएगा !मैंने आगे कहा। इस पर शिल्पा जी तपाक से बोली -'ये आपकी पॉजिटिविटी ही है ,जो आप विषम हालातों में लगे हुए हो !सौ में से वो एक इंसान खोजना होता है ,जिसके पास सॉलूशन होता है !'चौबीसों घंटे साकारात्मक रहने वाली ,शिल्पा जी के शरीर के निकट ,निश्चित रूप से,अवश्य ही प्रकाश-पुंज होगा !लगता है ,शोध के लिए वैज्ञानियों की टीम जरूर बुलवानी पड़ेगी !
     आज बातों के दौर में, उत्साह और व्याकुलता तो थी ,पर कानों को मज़ा नहीं आ रहा था,क्योंकि बाईपास पर ट्रैफिक का शोर बहुत था। आज मुझे अपने बहरें होने का अहसास हो रहा था ,हा -हा !
     बातें आगे बढ़ रही थी। आज शिल्पा जी ने ,मेरा मक्खन लौटाने का मन बना रखा था ,बोली-'आप जो लिखते हो ,वो बहुत गहराई में उतर जाता है!निष्कर्ष अच्छे निकालते हो आप !लेखन के प्रति आपकी ईमानदारी और मेहनत दिखती है !लेखों में नयापन होता है !बोरियत नहीं आती !'
     'शिल्पा जी,मेरा पुनर्जन्म है !पिछले जन्म का ज्ञान और संस्कार है !बातों के मर्म अच्छे से समझ आते है !और मैं ,मन ही मन सोच रहा था कि शिल्पा जी मेरे सिरहाने बैठी हो ,मैं लिखता रहूँ ,वे तारीफ के पुल बांधती रहे !पर प्रभु ,कभी मुझमें मेरे लेखन का अंहकार मत भरना !मेरे पाँव हमेशा जमीन पर ही रखना !

Shilpa Shetty Family

     बातों -बातों में शिल्पा जी ने ,फिर एक ऐसी बात बोल दी कि मैं उनके आगे ,फोन पे यार ,नतमस्तक हो गया !उन्होंने कहा कि मैं अपने निकटम संबंधों में अपना सब कुछ शेयर करती हू !कुछ भी उनसे छिपाती हूँ  ,तो मैं गलत हूँ!'रिश्तों के प्रति शिल्पा जी कितनी ईमानदार है !कितने विश्वसनीय रिश्तें है ,उनके पास ,इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है !रिश्तों के प्रति ईमानदार इंसान ,जीवन में प्राय कम मिलते है ! मेरी नज़र में ,शिल्पा जी ,एक G R 8 और धनी महिला है ,क्योंकि उनके पास रिश्तें है और अब मैं भी तो हूँ ,उनका रखवाला ,उनका भाला !पर ,रिश्तों के मामले में ,अपना तो बुरा हाल है ,दोस्तों !सचमुच ,अकाल पड़ा हुआ है !पीठ में छुरा घौंपा गया !गलत समझा गया या यूँ कहूं कि मेरे वजूद को कभी समझने की कोशिश ही नहीं की गई !स्वार्थी दुनिया में अकेले हो गए हम !

     कुछ को हमने छोड़ा ,कुछ ने हमको छोड़ा ,रह गया बस, अब लोगों से रिश्ता थोड़ा -थोड़ा !

     दरअसल ,मुझे लोग जल्दी से पसंद भी नहीं आते !अब ये बात दूसरी है ,दोस्तों कि, रिश्तों के गेम -शो 'कौन बनेगा रिश्तेदार ?'में मैंने अभी करोड़ों की बाजी जीती है !उन एक से रिश्ता ,करोड़ों रिश्तों के बराबर है !

सवा लाख से ,ये रिश्ता लड़ाऊं /मिलाऊ (तुलना )!
तँ मनोज बत्तरा नां कहलाऊँ !!

     खैर ,मैंने उनकी उक्त बात पर ,उन्हें तेज आवाज में ,जोरदार सैलूट किया ,-'सलूटटट ...... शिल्पा जी ,जबरदस्त वाला !'
     हमारे बीच का टेली-कलिंगनार आगे बढ़ रहा था !
     भूतकाल के धोखे ,फरेब और असफलताओं तथा अज्ञात भविष्य आदि को ध्यान में रखते हुए ,मैंने कहा कि  'कल मेरा नहीं था ,न आने वाला कल मेरा कभी हुआ ,इसलिए मैं आज में जीने लगा हूँ !आने वाला पल,जाने वाला है !हो सके तो इसमें जिंदगी बिता दो ,पल जो ये जाने वाला है !ये गीत सुना है ,आपने ?'
     शिल्पा 'शैली 'जी मेरी इस बात पर,मुस्कुराते हुए बोली ,कि 'मैं पता क्या सोचती हूँ कि आज ऐसा काम करो ,जो भविष्य बनायें !'
     यहाँ दरअसल ,हम दोनों के कहने का वे अलग -अलग था ,पर हम दोनों 'आज में' जीने की बात कर रहे थे। शिल्पा जी ने भी इस बात को माना !
     आज पता नहीं ,क्यों अपराध-बोध हो रहा है मुझे !आज मैं अपने इस लेख के साथ न्याय नहीं कर पाया !शिल्पा जी की लम्बी ,मर्म वाली बातों को यहाँ लिख नहीं पाया,शायद तभी !घर आते -आते बहुत कुछ भूल गया !'अब यादाश्त तेज करने वाला टॉनिक नहीं पिलाओगे ,तो ऐसे ही होगा,शिल्पा जी !खैर ,आज का टेली-कालिंगनार आप भी लिखिए !दो बार ,अलग-अलग स्टाइल में छाप देंगे !घर की अखबार /वेबसाइट है !अपने केड़े पैसे लगदे हैं इत्थे !

"पहले तो मैं जॉबर थी ,राइटर बनाया आपने !"


चीफ एडिटर आचार्य मनोज बत्तरा




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9/11/20

हमारे बच्चें हमारी जिंदगी है ,हमारी दुनिया है। स्कूल भेजने का सवाल ही नहीं उठता !@मनोज बत्तरा -बर्बाद इंडिया / मनोज बत्रा (एडिटर)

21 सितम्बर से ,आंशिक रूप से स्कूलों को खोलने का, सरकार का मन ! 

साढ़े 44 लाख से अधिक कोरोना -केस,और कई तरह की छूट,आश्चर्यजनक और विचारणीय प्रश्न है!

हमारे बच्चें हमारी जिंदगी है ,हमारी दुनिया है। स्कूल भेजने का सवाल ही नहीं उठता !@मनोज बत्तरा 

दिनांक -11 सितम्बर ,2020 . 
राजपुरा -चंडीगढ़ (पंजाब ). (ईश्वर आज़ाद द्वारा ). 
      
     दिनांक 10 सितम्बर ,2020 के 'दैनिक ट्रिब्यून 'के सम्पादकीय 'सतर्कता संग शिक्षा 'पढ़कर ,वर्तमान में शिक्षा की दशा और दिशा ने ,'बर्बाद इंडिया न्यूज़ 'के मुख्य संपादक और पत्रकार मनोज बत्तरा का ध्यान आकर्षित किया।लेख में बताया गया कि सरकार ने आगामी 21 सितम्बर से ,कक्षा नौवीं से लेकर बारवीं कक्षा तक के छात्रों हेतू स्कूलों को आंशिक रूप से खोलने का मन बनाया है। लेख में कोरोना के वैश्विक -संकट के चलते ,वर्तमान में छात्रों की मनोदशा और चिंताओं का भी जिक्र है। लेख में ,ग्रामीण इलाकों में ख़राब इंटरनेट,बिजली -समस्या ,गरीबी आदि के कारण ऑनलाइन -शिक्षा में आ रही ,रुकावटों को भी प्रमुख रूप से उजागर किया गया है। 



     बत्तरा ने कहा कि देश में यदि कोरोना -केस लाखों में है ,तो एक अभिभावक की हैसियत से ,सरकार के ,इस मूर्खता -पूर्ण फैसले का स्वागत और समर्थन मैं कभी नहीं करूँगा। हमारे बच्चें हमारी जिंदगी है ,हमारी दुनिया है। स्वैछिक विकल्प और अनुमति का प्रश्न ही नहीं उठता। माना कि कोरोना -संक्रमण के बाद ,लागू लॉकडाउन ने देश में शिक्षा के अधिकार के दायरों को संकुचित कर दिया है। पर इस बात की क्या गारंटी है कि बच्चें और स्कूल ,नियमों के पालन में लापरवाही नहीं करेंगे और बच्चों को कोरोना -संक्रमण नहीं होगा। देश में 12000 कोरोना -केसों के आने पर तो बड़ा  लॉकडाउन लगा दिया जाता है और वर्तमान में साढ़े 44 लाख से अधिक कोरोना -केस आने पर ,कई तरह की छूट दी जा रही है -ये आश्चर्यजनक और विचारणीय प्रश्न है। 
     बत्तरा के उक्त आशय का पत्र ,आज 'दैनिक ट्रिब्यून 'के चंडीगढ़ ,करनाल और गुड़गांव तीनो संस्करणों में ,करोड़ों पाठकों हेतू 'ट्रिब्यून 'के सम्पादकीय -पृष्ठ पर ,'आपकी राय 'कॉलम के अंतर्गत प्रकाशित हुआ।बत्तरा का कहना है कि लेखन और पत्रकारिता के इस मुकाम पर ,वे बिना मार्ग-दर्शन और स्वप्रेरणा से पहुंचे है ,जिसके पीछे उनकी वर्षों की अथक मेहनत और समाज के प्रति दायित्व -बोध है।  



    


चीफ एडिटर आचार्य मनोज बत्तरा


9/6/20

दुनिया के पास ,अब बचा यही रास्ता ! वैश्विक -शांति हेतू वैश्विक -उदारता और चीन के यू -टर्न की आवश्यकता ! @ मनोज बत्तरा -बर्बाद इंडिया / मनोज बत्रा (एडिटर)

सम्पादकीय- 

आचार्य मनोज बत्तरा के कीपैड से !



दुनिया के पास ,अब बचा यही रास्ता !

वैश्विक -शांति  हेतू वैश्विक -उदारता और चीन के यू -टर्न की आवश्यकता ! @ मनोज बत्तरा  

      "तिब्बत हमारी हथेली है ,तो लद्दाख ,नेपाल ,भूटान ,अरुणाचल  और सिक्किम हमारी अंगुलियाँ है !"-सन 1950 में ,दक्षिण एशिया के संदर्भ में,चीन के तत्कालीन शासन -प्रमुख माओत्से तुंग की इस सार्वजनिक टिप्पणी के आते ही ,भारत को सतर्क हो जाना चाहिए था,किन्तु तब हम राग अलापते रहे -"चीनी -हिंदी ,भाई- भाई !"और सन 1962 में चीन ने ,भारत पर आक्रमण कर ,उसका 37000 वर्ग किलोमीटर से अधिक का क्षेत्र,कब्जा लिया ,जिसे भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने ,संसद में भूमि का निर्जन टुकड़ा बताकर ,बात को 'आया राम ,गया राम' कर दिया था। इससे चीन की हिम्मत बढ़ी ,और उसने धीरे -धीरे ,लगातार भारतीय क्षेत्र पर ,बेखौफ अपना कब्ज़ा बढ़ाना जारी रखा और परिणाम-स्वरूप आज वाली स्थिति आ गई।



     आज वैश्विक कोरोना -संकट की जिम्मेदारी के, चीन व अमेरिका के बीच आरोप -प्रत्यारोप ,अत्यधिक मानवीय -हानि ,हर प्रकार के संकटों के माहौल में ,चीन को वैश्विक विरोध,बहिष्कार ,अविश्वास ,बदनामी और निर्यात पर टिकी चाइनीज अर्थव्यवस्था को बड़े -बड़े झटके सहन करने पड़ रहे है। चीन को घेरने और उस पर लगाम कसने हेतू ,चीन के खिलाफ वैश्विक -घेराबंदी को तेज किया जा रहा है !चीन के खिलाफ अमेरिका ,भारत -ऑस्ट्रेलिया -जापान संग 'नाटो' जैसा संगठन बनाने की तैयारी में है। पूर्व में ,1991 में अमेरिका ,तिब्बत की सरकार को मान्यता देकर, उसकी स्वतंत्रता का अनुमोदन कर चुका है। और सन 1960-61-65 में तीन बार, संयुक्त राष्ट्र संघ तिब्बतियों पर, चाइना के अमानवीय अत्याचारों की निंदा कर चुका है।



   
     निकट भविष्य में ,पूर्व में हुई भूलों में सुधार करते हुए ,भारत लेह में छोटे से कार्यालय में स्थित ,तिब्बत की निर्वासित सरकार और ताइवान को मान्यता देकर, फ्रांस ,ब्रिटेन,कनाडा,भूटान,ताइवान ,इंडोनेशिया ,अफगानिस्तान ,वियतनाम ,दक्षिणी कोरिया ,इजराइल आदि विश्व के देशों से ,इस मुद्दे पर समर्थन प्राप्त कर ,उनसे भी तिब्बत की निर्वासित सरकार और ताइवान को मान्यता दिलवा सकता है। ताइवान सरकार ने तो बिना मान्यता के भी ,भारत को सैन्य -सहायता देने को कहा है। ताजा घटना-क्रम में ,चीन के खिलाफ मोर्चाबंदी तेज करते हुए ,ताइवान ने उसके एक विमान को,अपने क्षेत्र में घुसने के कारण मार गिराया है।
     भारत द्वारा चीन के खिलाफ ,सन 1962 में गठित ,मेजर जनरल सुजान सिंह वाली,गुप्त फ़ोर्स 'स्पेशल फ्रंटियर फ़ोर्स 'को फिर से मोर्चा सँभालने हेतू तैयार किया गया है। दुश्मन को मुँह -तोड़ जवाब देने हेतू भारतीय सेना को ,महाघातक राफेल और इंगला एयर डिफेंस सिस्टम से भी सुसज्जित किया गया है।अभी हाल ही में,भारत ने हाइपरसोनिक  मिसाइल -तकनीक  का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है। 



     भारत द्वारा चीनी -एप्स -प्रतिबंध ,चीन से आयातित माल पर ड्यूटी -वृद्धि और चीनी ठेकों को रद्द करने आदि से भी चीन बौखला गया है। ताजा घटना-क्रमानुसार ,500 चीनी-सैनिकों द्वारा ,पैंगोंग त्सो झील के दक्षिणी इलाके को कब्जाने की नाकाम कोशिश हुई। चीन अवैध कब्जों ,लगातार घुसपैठ आदि चालों से सीमा -विवाद को तनावपूर्ण बना रहा है और सैन्य व राजनयिक वार्ताओं को भी सिरे नहीं चढ़ा रहा है ।दोनों के बीच सीमा -विवाद समाप्त होने की संभावना ,दिनों-दिन नगण्य होती जा रही है।



      वर्तमान परिपेक्ष्य में , रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और विदेश सचिव हर्षवर्धन शृंगला के ये बयान महत्वपूर्ण मानें जा रहे है।

     मास्को में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन के एक सम्मेलन में ,रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि "क्षेत्रीय स्थायित्व ,शांति और सुरक्षा हेतू आक्रामकता ,एक -दूसरे के हितों के प्रति संवेदनशीलता ,मतभेदों का शांतिपूर्ण समाधान ,अंतर्राष्ट्रीय कानूनों का सम्मान,परस्पर विश्वास का माहौल प्रमुख पहलू है।" उन्होंने आगे अपने बयान में,आंतकवाद के खिलाफ संस्थागत क्षमता विकसित  करने और पारदर्शी व् समग्रता लिए, मर्यादित वैश्विक सुरक्षा ढांचे के विकास की वकालत की।




     भारत के विदेश सचिव हर्षवर्धन शृंगला ने भी ,चीन को चेतावनी दे दी ,कि "सीमा पर शांति होने तक ,हमारे व्यापारिक -सम्बन्ध ,सामान्य रूप से नहीं चल सकते। भारत अपनी क्षेत्रीय अखंडता व सम्प्रभुता की रक्षा हेतू दृढ़ता के साथ प्रतिबद्ध है और इस पर कायम रहेगा। "उन्होंने आगे कहा की कि संकट के कठिन पलों में ,भारत  चीन से सैन्य व राजनयिक स्तर पर ,सम्पर्क  व संवाद बनाये हुए है।




     चाइना से भी कुछ सवाल किये जा  सकते है कि आखिर इतने बड़े वैश्विक -विरोध को चाइना कैसे झेल पायेगा !विश्व -बिरादरी के बिना चाइना जी सकेगा ?क्या अपने करोड़ों लोगों का पेट भर पायेंगा ?क्या तिब्बत आदि देशों की सम्प्रभुता को भंग करने का नैतिक अधिकार चाइना के  पास था ?

     चाइना को इस बात का डर,आशंका और समझ भी होनी चाहिए कि आम जनता ,सरकार की कुटिल नीतियों का कभी साथ नहीं देती ,उसे तो अपने जीवन से मतलब होता है !अपने परिवार के जीवन को बचाने के लिए ,ये सरकार का प्रबल और हिंसक विरोध तक कर डालते है !वैश्विक-आक्रमण की स्थिति में चाइना में ,भविष्य में गृह-युद्ध के हालात पैदा हो सकते है।

     खोई हुई वैश्विक-साख व शक्तिशाली देश का पुनः रुतबा पाने के लिए ,सुरक्षा -परिषद की स्थाई सदस्यता-निलंबन टालने के लिए ,विभिन्न देशों से द्विपक्षीय -सम्बन्ध बेहतर बनाने के लिए ,अंतर्राष्ट्रीय- न्यायालय में लगने वाले संभावित केस को ,कमजोर और उदार करने के लिए ,आज चाइना को वर्तमान की वैश्विक -परिस्थितयों में ,अपने अहंकार ,हवस ,साम्राज्यवादी ,बाज़ारवादी ,भोगवादी ,मानवता विरोधी और कुदरत विरोधी (कोरोना -संकट ) नीतियों में सुधार लाकर , यू -टर्न लेना होगा।  अब शांति -दूत के रूप में चाइना को नई भूमिका निभानी चाहिए। शांति -दूत बनकर,चाइना विश्व -बिरादरी को विश्वास दिलायें कि भविष्य में वो ऐसा कोई कार्य नहीं करेगा ,जिससे वैश्विक -संकट उत्पन्न हो और विश्व के विभिन्न देशों के साथ ,उसके सम्बन्ध खराब हो !वर्तमान परिस्थितियों में ,चाइना के पास उक्त उद्देश्यों को पाने के लिए,उक्त रास्ते के अलावा कोई चारा नहीं है। बस, उसे कुछ तकलीफ दायक त्याग करने होंगे !युद्ध से वह कभी भी इन उद्देश्यों की पूर्ति सुनिश्चित नहीं कर पायेंगा।




      वैश्विक -शांति-प्रयासों में पहल के तौर पर ,चाइना प्रभावित देशों की सम्प्रभुता बहाल करें और तिब्बत की जमीन से भी अपने पैर पीछे हटाकर ,तिब्बत को स्वतंत्र राष्ट्र घोषित करें।सन 1962 के समय, भारत का 37000 वर्ग किलोमीटर एरिया चाइना ने कब्जा लिया था ,वह भी लौटा दें।ऐसा करने से भारत की विदेश -नीति  /तटस्थता की नीति प्रभावित नहीं होगी।




     अन्तर्राष्ट्रीय मीडिया के सामने ,चाइना ये भी कह दे ,कि पाकिस्तान को आतंकवाद को प्रायोजित करना बंद करना होगा और कश्मीर-राग अलापना बंद करके, भारत से अपने रिश्तें सुधारने होंगें !ऐसे पाकिस्तान ,चाइना से डरकर ,भारत को परेशान करना बंद कर देगा !वैश्विक -शान्ति -प्रयासों में फिर चाइना की भी तारीफ़ होगी !

     चूँकि हर देश सैद्धांतिक रूप से आत्म -निर्भर होना चाहिए ,इसलिए चाइना के अनावश्यक निर्यात को नियंत्रित करने का,चाइना द्वारा विश्व को आश्वासन देना होगा।




     कोरोना -संकट से जूझ रहे ,विश्व के विभिन्न देशों और विश्व -स्वास्थ्य -संगठन को,और अधिक आर्थिक सहायता चाइना को देनी होगी।

     आज आवश्यकता है ,वर्तमान की वैश्विक -परिस्थितयों में ,वैश्विक -शांति के प्रयासों में ,वैश्विक -उदारता,सकारात्मक सोच और विश्व के लिए सद्बुद्धि और सदभावना की !रक्त -रंजित,भीषण संभावित तीसरे विश्व -युद्ध की विभीषिका से समस्त विश्व को बचाने ,सामान्य अवस्था में लाने और सुगमता से विकास की ऒर अग्रसर करने हेतू विश्व-बिरादरी को पिछला सब-कुछ भुलाना होगा।मजबूर विश्व के पास भी ,इसके अलावा कोई चारा नहीं है।

    निष्कर्षतः चाइना को जिद्द छोड़नी होगी। अपनी विस्तारवादी नीतियों पर अंकुश लगाना होगा। बच्चें कम पैदा करने होंगें या बच्चों की पैदाइश पर ,कुछ समय प्रतिबंध लगाना होगा। ताकि दूसरे की जमीन हड़पने की जरूरत ही न पड़े ! निर्वासित जीवन की कठिनाइयों और असीम दर्द -वेदना को समझना होगा। चाइना को ये भी समझना होगा कि वैश्विक -शांति में ही चाइना और विश्व का चंहुमुखी विकास संभव है !

  चाइना चूँकि महान शक्तिशाली है,जो चाहे फैसला लें। दुनिया को बर्बाद या आबाद करना ,अब चाइना के हाथ में है !अब देखना होगा, कि चालबाज समझे जाने वाला चीन, दुनिया को किस और धकेलता है !अब ईश्वर ही ,चाइना में विश्व हेतु सद्बुद्धि और सदभावना भर पाएं -ऐसी कामना है !




-मनोज बत्तरा



(लेखक स्वतंत्र पत्रकार और 'बर्बाद  इंडिया न्यूज़' के मुख्य  संपादक  है!)



crownmanojbatra@gmail.com




चीफ एडिटर आचार्य मनोज बत्तरा



9/2/20

"अपनी लड़ाई,हमें खुद लड़नी पड़ती है!"-शिल्पा 'शैली' -बर्बाद इंडिया / मनोज बत्रा (एडिटर)

"बर्बाद इंडिया"की उप सम्पादक शिल्पा 'शैली ' और मुख्य सम्पादक मनोज बत्तरा के बीच हुआ ,फिर एक और टेली कॉलिंगनार !

"अपनी लड़ाई,हमें खुद लड़नी पड़ती है!"-शिल्पा 'शैली' 

दिनांक -2 सितम्बर ,2020 . 
राजपुरा -चंडीगढ़ (पंजाब ). (मनोज बत्तरा द्वारा )

     "बर्बाद इंडिया "की उप सम्पादक शिल्पा 'शैली ' और मेरे (मुख्य सम्पादक मनोज बत्तरा के) बीच आज हुआ ,फिर एक और टेली कॉलिंगनार !सकारात्मकता की जीवित मूर्ति और उच्च -मानवीय गुणों की खान शिल्पा 'शैली'जी ने मुझसे कहा कि "बत्तरा साहब ,पॉजिटिवटी की शिक्षा का सारा श्रेय, आपने मुझे दे दिया !दरअसल पॉजिटिवटी आपके अंदर ही थी !"
     इस बात का श्रेय न लेना ,उनका बड़प्पन और महानता ही है !मैंने आगे कहा -"सच है ,पॉजिटिवटी मेरे अंदर ही थी ,विषम परिस्थितियों या यूँ कहूं कि जीवन के थपेड़ों से डरकर ,कहीं भाग गई थी !मन के किसी कोने में ,गधे बेचकर सो रही थी !आपने सहजता से जीवन में आकर ,उसे जगा दिया !आप द्वारा प्रदत्त जीवन के 'सकारात्मकता- मूल -मंत्र' को आधार मानकर ही ,विषम परिस्थितियों से लड़ रहा हूँ और अपने जीवन को गति और दिशा दे रहा हूँ !इस हेतू आपका हार्दिक अभिनन्दन और साधुवाद !" मैंने आगे एक उदाहरण भी प्रस्तुत किया कि जिस प्रकार ,अपनी शक्तियों को भूले बैठे हनुमान जी को ,जामवंत ने शक्तियों बारें याद दिलवाकर ,उन्हें सीता माता की खोज हेतू ,विशाल समंदर लंघवा दिया था ,उसी प्रकार आपने भी ,मुझमें छिपी सकारत्मकता की शक्ति को जागृत कर ,अविस्मरणीय सहयोग किया है !मेरी इस बात पर शिल्पा जी ,खिलखिला दी !


व्यक्तिगत कारणों से शिल्पा "शैली " के स्थान पर,प्रतीक -रूप में
अभिनेत्री  शिल्पा शैट्टी का चित्र लगाया गया है ! 


     "बत्तरा साहब ,इंसान को खुद अपनी लड़ाई आप लड़नी पड़ती है !बस ,जरुरत है ,स्वयं के अंतर्मन में जागृति ,चिंतन -मनन ,सहनशीलता और धैर्य की !"शिल्पा जी आगे बोली ! 
     सच ही तो कहा, शिल्पा जी ने!यहाँ मुझे भारतीय सिंगर हर्षिता सिंह द्वारा ,पाकिस्तानी सिंगर मोमिना मुस्तेंसन का लिखा गीत "जी लिया "याद आ रहा है ,जिसका कि केंद्रीय -भाव यह था कि जीवन में आप सुख -दुःख ,दोनों देखोगें !हर परिस्थिति में आपको अपने अंदर झाकना होगा !कश्मकश में ,उलझनों में ,विषम परिस्थितियों में ,आपको खुद से ही लड़ना होगा ,खुद को जगाना होगा ,अपनी शक्तियां को पहचाना होगा !जो मुश्किल है ,उसी रास्ते को चुनकर, जीवन को आगे दिशा देनी होगी !



     हमारें टेली कॉलिंगनार की चर्चा आगे बढ़ रही थी !
     "कर्म -फलों से उत्पन्न विषम परिस्थितियों के कारण ,जीवन -साथी भी आपका साथ छोड़ दे !नफरत करें ?"मैंने कहा !
     शिल्पा जी ने ,मेरे इस प्रश्न पर थोड़ी देर के लिए ,ख़ामोशी धारण कर ली !पर वे कुछ सोचकर बोली -"मैं ये सोचती हूं कि रिश्तों में यदि विश्वास ख़त्म हो जाये ,तो रिश्तों को कैसे ठीक करूँ !"
     "फ़ोर्स से रिश्तें कभी सहज नहीं होते !अंतिम सांस तक उनके सहज होने का इन्तजार होना चाहिए ,यही  रिश्तों के प्रति आपकी सच्ची श्रद्धा होगी "-मेरी बात सुनकर ,शिल्पा जी ने हामी भरी !पर ये भी सच है कि -

"जिंदगी के सफ़र में ,गुजर जाते है,जो मक़ाम !फिर नहीं आतें ,फिर नहीं आतें !"

     किसी कारण से हमारा फोन कट गया और हमारी चर्चा आगे न बढ़ सकी !पर मुझे अपने एक बिहारी मित्र शंकर भाई की याद आ गई ,वे कहा करते थे कि "जब रिश्तें उलझने शुरू हो जाएँ ,तो उन्हें वहीं छोड़ दों !ऐसा करने से रिश्तें ,उतने ही बने रहते है ,जितने कि वे है !ऐसे रिश्तें खत्म नहीं होते !सही वक़्त आने पर ,रिश्तों को सही किया जा सकता है!"क्योंकि शिल्पा जी ,"रिश्तों के भी रूप बदलते है !"
    कम पढ़ें शंकर भाई ने भी जीवन की इतनी बड़ी शिक्षा मुझे प्रदान की !नमन, उनके जीवन में रिश्तों के प्रति दृष्टिकोण को !
    बेशक हमारी बात आगे नहीं हुई ,पर शिल्पा जी के पास होने का अहसास ,काफी देर तक मुझमें बना रहा !मुझमें सवाल उठ रहे थे कि क्या हम रिश्तों के बिना जी सकतें है ?मैं तो बिल्कुल भी नहीं! मुझे तो तलाश है ,अपने जीवन में सहज और ईमानदार रिश्तों की ,जो जीवन -भर साथ चलें!
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 कलिंगनार का शेष -भाग  !


दिनांक -3 सितम्बर ,2020 . 
राजपुरा -चंडीगढ़ (पंजाब ). (मनोज बत्तरा द्वारा )


"बर्बाद इंडिया"की उप सम्पादक शिल्पा 'शैली ' और मुख्य सम्पादक मनोज बत्तरा के बीच हुआ कलिंगनार प्रकाशित हो चुका था ,जिसे पढ़कर शिल्पा जी ने मुझे फिर कॉल कर दिया !

     शिल्पा जी बोली -"मुझे नहीं पता,कि शंकर भाई ने किस वे में अपनी उक्त बात बोली !मैं समझती हू कि कुछ रिश्तें जीवन में ,ऐसे होते है ,जिन्हें छोड़ा नहीं जा सकता !ऐसे रिश्तें जब उलझनें शुरू हो जाये ,तो धीरे -धीरे बड़ी सावधानी से ,सहजता और समझदारी से शॉट आउट करने चाहिए !बत्तरा साहब ,आप खुद भी तो कहतें है कि मैं रिश्तों में ,लॉन्ग टाइम चलता हूँ !"
     "बिलकुल ,शिल्पा जी! रिश्तें बहुत नाजुक होते है !कोई भी रिश्ता टाइम माँगता  है !"मैंने भी अपनी सहमति जताई !

     ("धीरे -धीरे प्यार को बढ़ाना है,हद से गुजर जाना है !")

    आगे मैंने शिल्पा जी को अमूल मक्खन लगातें हुए कहा -"आप सचमुच रियल पर्सन है !और आपकी ये बात भी आज मान लेता हूँ कि हम दोनों एक जैसे है !मैंने कभी रिश्तों के आगे ,पैसों को भी कभी अहमियत नहीं दी !"
    घर पहुँचते -पहुँचते ,मैं  आधी बातें तो भूल गया !यार ,कोई मुझे यादाश्त बढ़ाने वाला टॉनिक तो पिला दो !
     खैर ,अंत में मैंने शिल्पा "शैली "जी से प्रार्थना की ,कि सकारात्मकता ,आज समाज की जरुरत है ,इसलिए खुलकर लेखन -क्षेत्र में अपना सहयोग दें !... 
     अंत में ,हमारे वार्तालाप का यहीं निष्कर्ष निकला,मैंने कहा कि "जिसे हम अंत समझते है ,दरअसल वहीँ से जीवन की शुरुआत होती है !सकारात्मकता के साथ ,स्वयं पर विश्वास ,अगर है तो ,सफलता सदैव आपके कदम चूमती है !"
     इस पर शिल्पा जी की सहमति का ,मुझे  पुरस्कार मिला !बस ,हमने बात को यहीं विराम दिया !रियली थैंक्स शिल्पा जी ,शैली जी ,जिनका मन नहीं ,बिल्कुल भी मैली जी ! 


चीफ एडिटर आचार्य मनोज बत्तरा






8/31/20

"किसी के जाने से देश नहीं रुकता !वह तो नए चेहरों के साथ ,नयी उम्मीदों व नए प्रयासों के साथ आगे बढ़ता है !"-चीफ एडिटर मनोज बत्तरा /बर्बाद इंडिया न्यूज़।

"धोनी के बिना भारतीय क्रिकेट !"-विषय /दैनिक ट्रिब्यून/ सम्पादकीय- पृष्ठ/ "जन -संसद "कॉलम 

"किसी के जाने से देश नहीं रुकता !वह तो नए चेहरों के साथ ,नयी उम्मीदों व नए प्रयासों के साथ आगे बढ़ता है !"-चीफ एडिटर मनोज बत्तरा /बर्बाद इंडिया न्यूज़। 

दिनांक -31 अगस्त ,2020 .  
चंडीगढ़ (पंजाब ). (ईश्वर आज़ाद द्वारा ). 

     दैनिक ट्रिब्यून ,चंडीगढ़ के मुख्य संपादक श्री राज कुमार सिंह ने कहा कि अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कहने वाले महेंद्र सिंह धोनी ,क्रिकेट जगत में ऐसे कप्तान रहे है ,जिनके नेतृत्व में भारतीय टीम ने क्रिकेट के तीनों प्रारूपों में सफलता की ऊंचाइयों को छुआ ! उनकी कप्तानी ने टीम को ,टेस्ट क्रिकेट में पहली बार नंबर एक बनाया !सही मायनों में ,धोनी की विदाई से क्रिकेट की दुनिया में ,एक करिश्माई युग का अंत हुआ !
     पूर्व में,दैनिक ट्रिब्यून द्वारा,अपने सम्पादकीय- पृष्ठ पर , "जन -संसद "कॉलम के अंतर्गत "धोनी के बिना भारतीय क्रिकेट "विषय पर प्रबुद्ध व विचारशील पाठकों और बुद्धिजीवियों से विचार आमंत्रित किये गए थे !

Happy Birthday MS Dhoni India s Captain cool turns 39 i know 10 facts about mahendra  singh dhoni - HAPPY B'DAY Mahi: 39 साल के हुए महेंद्र सिंह धोनी, पढ़ें उनसे  जुड़ी 10 बड़ी बातें

     "बर्बाद इंडिया "के चीफ एडिटर और वरिष्ठ पत्रकार मनोज बत्तरा ने भी उक्त विषय पर अपने विचार भेजें !बत्तरा ने कहा कि "इसमें कोई दो राय नहीं ,कि धोनी साहब ने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में भारत को ऊंचाइयों पर कई आयाम दिए! अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा ,उनका निजी फैसला है !पूरे देश को उनकी भावनाओं और फैसले का सम्मान करना चाहिए!रही बात उनके बिना भारतीय क्रिकेट की दशा की ,तो मुझे पूर्व राष्ट्रपति स्व .अब्दुल जी कलाम साहब के शब्द याद आ रहे है कि "इन्तजार करने वालों को ,सिर्फ उतना ही मिलता है ,जितना कोशिश करने वाले ,अक्सर छोड़ देते है !" पर यहाँ कलाम साहब के कहने के भाव कुछ और थे !लेकिन यहाँ मैं कहना चाहूंगा कि किसी के जाने से देश नहीं रुकता !वह तो नए चेहरों के साथ ,नयी उम्मीदों व नए प्रयासों के साथ आगे बढ़ता है !बहुत सारे उत्साही लोग ,इस इन्तजार में रहते है कि कब उन्हें मौका मिले ,देश और परिवार का नाम रोशन करने का !धोनी का करिश्माई युग ,क्रिकेट जगत में प्रेरणा बनेगा ,नए आयाम स्थापित करेगा !ये बात दूसरी है कि धोनी की कमी, अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में सदैव खलेगी और उनका योगदान सदैव याद किया जाता रहेगा !" 
     हालाँकि बत्तरा के विचार जन -संसद में साझा राय नहीं बना पाएं,जबकि उनके विचार प्रासंगिक तो है ही ! 


चीफ एडिटर आचार्य मनोज बत्तरा





8/19/20

"चुगली का मज़ा लेने वाले ,तेरी भी चुगली हो रही है ,मौहल्ले में !"-बर्बाद इंडिया / मनोज बत्रा (एडिटर)

सम्पादकीय- 


आचार्य मनोज बत्तरा के कीपैड से !


 "चुगली का मज़ा लेने वाले,तेरी भी चुगली हो रही है,मौहल्ले में !"

     "चुगली"-नाम से ही स्पष्ट है कि गली -मौहल्ले में होने वाली चूँ -चूँ ,ची -ची आदि को ही चुगली कहा जाता है और ऐसे मौहल्ले को "चुगली मौहल्ला "! अन्य नामों में बुराई ,निंदा ,कान भरना आदि भी, चुगली को ही कहते है!किसी के गुण -दोष बताना (आलोचना/समीक्षा ),निंदा या चुगली नहीं होती !चुगली के मामले में पुरुष से ज्यादा औरतें बदनाम होती है !

योगी जी: क्या केवल जुगाली करेंगी ...

     भैंस की जुगाली हो या लोगों की चुगली ,बेवजह नहीं होती !भैंस घास आदि खाने के बाद अपने मुँह से सफ़ेद झाग निकालती है ,जैसे मानो कोलगेट कर रही हो और पुरुष व औरतें स्वयं की हीनता ,कमजोरी तथा आदतन आदि के कारण चुगली करते है!कुछ हाउस वाइफ औरतों का तो घर की चारदीवारी में सारा दिन दम घुटता है ,तो वे पड़ोसन की चौखट पर पहुँच जाती है ,चुगली का अधूरा ग्रन्थ लिखने को!वैसे भी खाली दिमाग शैतान का घर होता है !मुझे याद आ रहा है ,किसी विद्वान् का कथन कि "निंदा का जन्म ,हीनता और कमजोरी से ही होता है!"
     निंदा ,बुराई ,चुगली करने वाले को "निन्दक "कहा जाता है !निन्दक मुख्यता दो प्रकार के होते है-सामान्य निन्दक और मशीनरी निन्दक !सामान्य निन्दक वे निन्दक होते है ,जो परिस्थितयों के अनुसार ,कम या ज्यादा लोगों की सामान्य रूप से चुगली -निंदा करते है!और मशीनरी निन्दक ,वो निन्दक होते है ,जो चालू मशीन की तरह,लगातार चुगली-निन्दा करते ही रहते है !वे रुकने का नाम ही नहीं लेते है !मशीनरी निन्दक ,सामान्य निन्दकों से ज्यादा खतरनाक होते है !और मशीनरी निन्दकों में, सामान्य निन्दकों से कहीं ज्यादा हीनता और कमजोरी होती है !
     दोनों प्रकार के निन्दकों में एक बात कॉमन है कि दोनों ही अपने अहम की संतुष्टि के लिए ,चुगली -निन्दा का सहारा लेते है और इनके अंतर में अकेलापन व् खालीपन भी संभवत होता है !काश ,कोई इनको समझा पाता कि जीवन का असली आनंद परोपकार ,कल्याण और ईश्वर के प्रति भक्ति आदि उच्च भावनाओं में है !दोनों ही निन्दक अपना और अपने सामने वाले श्रवणकारी शिकार का समय नष्ट कर रहे होते है !
     मौहल्ला चाहे कोई भी हो ,वहाँ थोड़ा या ज्यादा चुगली-निन्दा का साम्राज्य रहता ही है !"तारक मेहता"वाली 'गोकुलधाम सोसाइटी 'सब जगह थोड़ी होती है!मैंने एक मौहल्ला ऐसा भी देखा है ,जहाँ अंदर ही अंदर चुगली-निन्दा चलती है !पर इस मौहल्ले की ख़ास बात ये है कि यहाँ कभी झगड़ा नहीं होता !सब संभ्रांत परिवारों के स्याने लोग है!मैं तो यहीं कहूंगा कि "चुगली का मज़ा लेने वाले ,तेरी भी चुगली हो रही है ,मौहल्ले में !"
     मेरी नज़र में ,मौहल्ला सदभाव और सहयोगपूर्ण होना चाहिए !दिन में कितनी बार हम एक-दूसरे के मुँह -माथे लगते है !जरूरत ,सुख -दुःख में ,कम -ज्यादा एक-दूसरे के काम आते ही है! क्या ये छोटी बात है ?मौहल्ला भी एक वृहद परिवार है और पडोसी इस परिवार का महत्वपूर्ण हिस्सा!सारी उम्र जब साथ रहना है ,तो शूद्र और निम्नतर व्यवहार क्यों ?
    समझदारी इसी में है कि पहले तो किसी निन्दक को अपने पास बैठने न दें!और यदि आप ऐसा न कर पाएं ,तो उसे स्पष्ट बोलने का साहस अवश्य दिखाएँ कि किसी की बुराई हमसे न करें !हमारी फितरत सबसे मेलजोल वाली है !

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     एक बार आपने निन्दक से किसी की चुगली -निन्दा सुन ली ,तो उसे आगे का रास्ता मिल जायेगा !क्योंकि आपको मज़ा आने लगता है ,दूसरों की बुराई सुनने में !तब आपको निन्दक अपना सगा रिश्तेदार लगने लगता है!आप उस पर अंधविश्वास करके, अपने भेद देने लगते है और वह महान निन्दक आपको कहाँ-कहाँ मशहूर कर देता है ,आपको पता चलना तो दूर ,आईडिया तक नहीं होता आपको, कि आप बदनाम हो चुके है !
     ऐसे निन्दक किसी न किसी बहाने आपके दिल और घर में घुसते है !अपनी तारीफ और इज्ज़त ये मौहल्ले के हर घर से चाहते है !पर दूसरे की इज्जत का जनाजा हर वक़्त ,निन्दा कर-कर निकालते रहते है !माफ़ कीजियेगा ,एक कहावत है कि -"ये गूं भी वहीं खाते है ,जहाँ की चुगली करते है !"
     यदि मौहल्ला "चुगली मौहल्ला"है,तो पड़ोसियों का दोगलापन और झूठे रिश्ते हमेशा आपको तकलीफ देंगे !सकारात्मक /पॉज़िटिव विचार,परस्पर सहयोग और सम्मान से हम  एक -दूसरे के जीवन में खुशबू बिखेरें -ऐसा विचार मन में ला,प्रण लें कि न बुरा कहेंगे ,न बुरा सुनेंगें !

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चीफ एडिटर आचार्य मनोज बत्तरा



8/15/20

टेली -कालिंगनार में बत्तरा ने शिल्पा "शैली "को 'जीवित स्टेचू ऑफ़ पाजिटिविटी 'और"सकारात्मकता "को सभी मानसिक शक्तियों की मम्मी जी बताया !-बर्बाद इंडिया / मनोज बत्रा (एडिटर)

टेली -कालिंगनार में बत्तरा ने शिल्पा "शैली "को 'जीवित स्टेचू ऑफ़ पाजिटिविटी 'और"सकारात्मकता "को सभी मानसिक शक्तियों की मम्मी जी बताया !

   

सम्पादकीय- 


आचार्य मनोज बत्तरा के कीपैड से !


     उच्च मानवीय गुणों की स्वामिनी और "बर्बाद इंडिया "की को -एडिटर शिल्पा जी "शैली "द्वारा ,विषम परिस्थितयों में सकारात्मकता के भाव की मुझे शिक्षा और उसके सुखद परिणाम आने के बाद भी ,हमारे बीच सकारात्मकता को लेकर ,टेली -कालिंगनार /चर्चा चली !
     शिल्पा जी ,विल -पॉवर को समझती है!और मेरा व्यक्तित्व पूर्व -जन्म के संस्कारों से निर्मित है !इन्ट्यूशन -पॉवर /पूर्वाभास ,दिव्याभास ,प्रेम ,श्रद्धा ,विश्वास ,भक्ति आदि मेरे जीवन के ,अविश्वसनीय सत्य है!शिल्पा जी जो कहती है ,जो समझाती है ,वो मुझ पर बेहद असर डालता है !मुझे उनसे प्रेरणा मिलती है !मेरे अंदर उनके कारण ही ,जो सच घट रहा है ,वो ही लिख रहा हूं !
      इन्ट्यूशन -पॉवर /पूर्वाभास ,दिव्याभास ,प्रेम ,श्रद्धा ,विश्वास ,भक्ति आदि मानसिक -शक्तियों की तरह ही ,सकारात्मकता /पाजिटिविटी भी एक मन की शक्ति है !इसका अनुभव करके ,हम विषम  परिस्थितयों में भी ,प्राय सुखद परिणाम ले सकते है!जीवन में सफलता ,मानव-कल्याण ,परोपकार आदि के लिए, सकारात्मक और कल्याणकारी सोच की आवश्यकता होती है!विषम परिस्थितयों में ,सामने वाले को यदि स्पष्ट रूप से ,बात के सभी पक्ष निर्भीक होकर ,सच-सच बता दिए जाएँ ,तो उसको अपनी ओर किया जा सकता है !समय मिलने से ,विषम परिस्थितियों का प्रभाव कम हो जाता है!मेरा मानना  है कि सकारात्मकता के भावों से भक्ति के सोपानों /सीढ़ी को पार किया जा सकता है!इससे यानी भक्ति में सकारात्मकता के भावों से,ईश्वर -प्राप्ति भी संभव है !सही ही तो है ,बड़ा -बड़ा ,ऊँचा -ऊँचा ,अच्छा -अच्छा ,कल्याणकारी -सोच का भाव ही तो "सकारात्मकता "है !मैं तो कहूंगा जी ,"सकारात्मकता "सभी मानसिक शक्तियों की मम्मी जी है !आई लव यू ,पाजिटिविटी मम्मा जी !
     टेली -कालिंगनार में चर्चा आगे बढ़ रही थी !
     "दूध का जला ,छाछ भी फूंक -फूंक कर पीता है !क्या आपके जीवन में ,ऐसा कुछ है ?"-मेरे इस प्रश्न के उत्तर में शिल्पा जी ,बड़े शांत स्वभाव से बोली -"नहीं ,मेरे जीवन में ऐसा कुछ नहीं है !मेरे माता -पिता ने मुझे हमेशा सिखाया कि जीवन में ऐसा कोई कार्य न करों कि बाद में पछताना पड़े !और आत्म -ग्लानि में ,आप खुद की ही  नज़रों से गिर जाओ! "उन्होंने आगे ये भी कहा कि इसलिए मैं ऐसा कोई कार्य नहीं करती ,जिससे बाद में पछताना पड़े !मुझमें बेहद स्वाभिमान है !मुझे अपमानित होना या मखौल का विषय बनना ,पसंद नहीं !
     सच ही तो कहा है ,सकारात्मकता की साक्षात्, जीवित मूर्ति शिल्पा "शैली "जी ने !वास्तव में ,"आत्म-ग्लानि"पश्चाताप की वो स्थिति है ,जिसमें आत्मिक दर्द -वेदना होती है !शाब्दिक अर्थ से भी तो स्पष्ट है ,आत्मा का गल जाना !बिखर जाना!
     दरअसल,आत्म-ग्लानि ,बिना सोचे -समझे किये गए कार्यों ,अहंकार युक्त गलत फैसलों आदि के बाद,आने वाले भयंकर परिणामों और उत्पन्न विषम परिस्थितयों में ,किसी भी मनुष्य में ,मनोवैज्ञानिक रूप से आ सकती है!
     आत्म-ग्लानि में ,यदि सकारात्मक -भाव है ,तो प्राय मनुष्य पश्चताप के बाद,खुद को समेटकर ,गलतियां दोबारा न करने की प्रेरणा लेता हुआ ,अपने जीवन में आगे बढ़ जाता है!और यदि आत्म-ग्लानि में नकारात्मक -भाव है ,तो मनुष्य स्वयं को तुच्छ और जीर्ण-शीर्ण समझते हुए ,शर्म से आत्म-हत्या तक कर लेता है या जीवन-भर पश्चाताप में पड़ा रहता है!
     इस प्रकार ,आत्म-ग्लानि भी ,मन की ही एक स्थिति है!जोकि विभिन्न रूपों में,विभिन्न कारणों से मनुष्य  में आ सकती है!


व्यक्तिगत कारणों से शिल्पा "शैली " के स्थान पर,प्रतीक -रूप में
अभिनेत्री  शिल्पा शैट्टी का चित्र लगाया गया है ! 


      ईश्वर की बनाई हुई, अद्भुत कृति/रचना ,शिल्पा "शैली "जी को मैंने अच्छे से समझ लिया है!माता-पिता द्वारा दिए गए ,संस्कारों के कारण ही ,उनमें प्राय सकारात्मकता के भाव रहते है और इसी सकारात्मकता के कारण ही,उनकी वाणी व् सुलझे व्यवहार में गजब का संतुलन है !सब दिव्य लगता है!और उनकी स्पष्टता ,भीतर की ईमानदारी ,सच्चाई और सकारत्मकता ,कहीं न कहीं स्वाभिमान पैदा करती है!तभी तो,एक सम्मानित जीवन व सम्मानित रिश्तों की चाह रखती है ,शिल्पा जी !
     टेली -कालिंगनार में चर्चा जब अपने अंतिम चरण में आई,तो शिल्पा जी ने बड़ी सहजता और कॉन्फिडेंस से कहा-"ऐसा नहीं है कि उनमे भी नकारात्मकता के भाव नहीं आते !वे स्वाभाविक है ,पर वे जल्द ही उन पर कंट्रोल कर लेती है!"
    और अंत में,निष्कर्ष रूप में ,यहीं कहना चाहूंगा कि भक्ति -सत्संग से ,अच्छा साहित्य पढ़ने से ,अच्छे लोगों की मित्रता से,अंतर्ज्ञान -चिंतन-मनन- रचनात्मकता और  माता-पिता -गुरु  के संस्कारों आदि से सकारात्मकता आती है!बस जरुरत है ,जीवन को सफल बनाने के लिए ,ईश्वर प्रदत्त इस अद्भुत "सकारात्मकता "की शक्ति को पहचानने और उसके सदुपयोग की!
     वैसे शिल्पा जी ,आपके चरण -कमल  कहाँ है ?


चीफ एडिटर आचार्य मनोज बत्तरा