उस संडे को उनकी अचानक कॉल आई ,तो मैंने आश्चर्य से ,शिल्पा जी से पूछा -'संडे को ऑफिस खुला है ?'वे तपाक से बोली -'हाँ ,आज आधा दिन मेरी ड्यूटी लगी है !अरे ,काम करना है ,तो नखरा कैसा ?'
कितना सटीक बोला शिल्पा 'शैली 'जी ने !बिना काम किये ,लक्ष्यों को कैसे प्राप्त किया जा सकेगा?बिना सामूहिक -कर्म के मानव -सभ्यता का विकास कैसे संभव होगा ?बिना कर्म के हम दुनिया को कैसे सुन्दर बना पायेंगे ?-ऐसे ही तमाम सवाल मेरे मन में कौंध गए !फिर सच भी तो हैं -
"दुनिया में रहना है ,तो काम कर प्यारे !सबको हाथ जोड़, सलाम कर प्यारे !
वरना ये दुनिया जीने नहीं देगी ,मरने नहीं देगी !"
बातों का सिलसिला ,आगे बड़ा ,तो शिल्पा जी बोली -'जे अस्सी ,सिर मिलाये है ,तो अग्गे वध्धों !आपका लास्ट कुछ डयूज पेंडिंग है !हाथी निकल गया है ,पूंछ बाहर है !'
मैंने इसके लिए टाइम माँगा ,तो उन्होंने कहा -'ग्रेस पीरियड है!अब आगे मेरे हाथ में नहीं है !आप इंतजाम कीजिये !'
खैर ,रब का आदेश था ,तो अपना बेस्ट देना था और मैंने अपने प्रयासों को दोगुना करके ,ठोस फैसले लेकर अपना बेस्ट दिया और सब क्लियर किया !
पर आगे कुछ और अड़चन आ गई ,तो एक हफ्ते के बाद शिल्पा जी ने कहा -'अब सिस्टम से और आगे अकेले लड़ नहीं सकती!तभी आपको बता रही हूँ .... '
खैर ,मैंने सिस्टम को फॉलो करते हुए ,फिर तुरत एक्शन लिए !दरअसल मैं शिल्पा जी के वजूद ,सब्र और कर्म -आराधना आदि के समक्ष,अंदर से नत -मस्तक हूँ ,उनको नीवा कैसे होने दे सकता था !
एक हफ्ता फिर बीत गया !
मैं परेशान था कि शिल्पा जी की कोई कॉल नहीं आई ,एक हफ्ते से !कहीं वे काम को सिरे चढ़ाने के चक्कर में ,कोई टेंशन तो नहीं ले रही !मुझसे रहा न गया ,तो मैंने उन्हें सन्देश भेज दिया !मेरे समर्पण को यही कर्तव्य लगा -
'शिल्पा जी ,अगर सिर जोड़े है ,तो लड़ाई अकेले क्यों ?आप बिल्कुल भी टेंशन मत लीजिये !मुझे ऐसे मेटर्स को सॉल्व करना आता है !'
दो दिन तक उनका कॉल नहीं आया तो ,मुझे उनकी बेहद चिंता होने लगी !मैंने उन्हें कॉल करना ही ठीक समझा !
आगे की बातचीत के प्रमुख अंश :-
'हेलो ,शिल्पा जी आपको याद दिलाने के लिए फोन किया है कि हमारे बीच एक दोस्ती भी है !'-मेरी बात सुनकर वे खिलखिला दी ,तो मैंने उनसे आगे कहा -'आपकी चिंता हो रही थी !वो ऑफिशियल- मेटर अगर सॉल्व नहीं हो रहा है ,तो आप बिल्कुल भी चिंता न करें !हम कोर्ट का सहारा लेंगें!'
'नहीं ,वहाँ तक नौबत नहीं आयेगी !आपका काम सॉल्व हो गया !'