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रब को भक्त के सामने हाथ जोड़ते ,किसी ने देखा है ? -बर्बाद इंडिया न्यूज़ / मनोज बत्रा (एडिटर)

टेली-कलिंगनार !

पाठक ,कृपया किसी भी बात को अन्यथा न लें !

रब को भक्त के सामने हाथ जोड़ते ,किसी ने देखा है ?

दिनांक -18 सितम्बर ,2020 . 

राजपुरा -चंडीगढ़ (पंजाब ). (मनोज बत्तरा द्वारा ). 

    रब को भक्त के सामने हाथ जोड़ते ,किसी ने देखा है ?मैंने देखा है !दो दिन से बोल रही है कि 'मुझसे हाथ जुडवा लो ,पर उस ऑफिस वाली समस्या का, हल आज ही निकालों !नेगेटिविटी आ जायेगी और फिर मेरे रेपुटेशन का भी सवाल है !'


    ये कोई और नहीं ,मेरे जीवन की वो 'गॉड -पर्सन 'है ,जिन्होंने विषम -परिस्थितियों में मेरा साथ निभाया और मेरे जीवन की दिशा को बदल दिया !अब इतनी शक्ति तो ,रब में ही होती है !यहाँ रब तुल्य प्रिय सखी से पूछना चाहता हूँ कि आखिर क्यों ,रब की मर्यादा का हनन कर रही हैं ?कहीं रब भी ,हाथ जोड़ते है ,भक्त के सामने ?

    कृपया पाठक भी इस बात को अन्यथा न लें !किसी भी रिश्तें की ,चाहे वो दोस्ती का रिश्ता भी हो ,सार्थकता अपनेपन ,परस्पर विश्वास और श्रद्धा (रब के जैसी पवित्रता )से ही है!

    खैर ,मैंने उन्हें समझाया (देखो जी ,रब को समझा रहा हूँ !),कि 'आपका भाग्य मुझसे जुड़ चुका है ,वह काम करेगा !निश्चित रूप से समस्या हल होगी !विधाता आपका रेपुटेशन ख़राब नहीं होने देगा !अरे ,आपके आने से ,तो मैं बहुत स्ट्रांग हो गया हूँ !टेंशन लेनी बंद कर दी है ,मैंने!सुख हो,या दुःख हो ,महापुरुषों की तरह एक समान रहता हू !मैं हरसंभव ,निरन्तर कोशिश करके ,समस्या के प्रति सफलता का परिणाम दूंगा !'

     मेरी सखी की साख का सवाल था ,इसीलिए फिर मैंने उस समस्या को मन में 'गोल'माना और चिलचलाती धूप और गर्मी में ,पसीने व भूख-प्यास की ,परवाह  किये बगैर ,रास्तों की तलाश में जुट गया !पर मेरे साथ भी वही हुआ ,जो अक्सर होता है ,सब जगह से ना हुई!अंततः मेरे भेजे गए मैसेज का ,मेरे फ़ोन पर रिप्लाई आया कि मैं आपकी समस्या हल कर देती हूँ !खैर ,उन्होंने झट से समस्या ,बिना कोई ज्यादा सवाल किये,हल कर दी !उनकी मित्रता और अपने प्रति सम्मान देख ,मैं आत्म-विभोर था !उन्हें प्रत्युत्तर में ,अपनी दुआयें और धन्यवाद के शब्द ही दे पाया !

    मेरी सखी खुश थी !पर अंदर ही अंदर मुझे अफ़सोस भी हो रहा था कि आज तेरा एक उसूल टूटा है !क्या तू लोगों की सहायता ,भविष्य में अपनी सहायता पाने हेतू करता है !मैंने इस सम्बन्ध में सखी से भी कहा कि 'आज मैंने ऐसे अपने जीवन का यू-टर्न लिया !मैं बिल्कुल भी ऐसा नहीं हूँ !'मेरी इस बात पे ,वे तपाक से बोली-'कभी -कभी यू -टर्न लेने से भी ,सफलता मिल जाती है !'

     उनके शब्द गंभीर लगे !चिंतन -मनन किया तो लगा की सखी ,सोलह आने सही बोल रही है !पर क्या दोस्तों !आने -दोआने चलते है अभी?

    'सब आपकी वजह से है ,सखी !'मैंने आगे उनसे कहा !

    'अरे नहीं ,घर के लोग मुझे भाव नहीं देते,और एक आप हो ,तारीफ पे तारीफ किये जातें हैं !ये मेरा रूटीन व्यवहार है !' सखी ने मुझसे हँसते हुए कहा !

    'ओहो ,तो आप अंदर और बाहर से एक जैसे हैं !'मैंने भी मस्ती में उनसे कहा !

    'आज आपकी जुबान,लगन और कर्तव्यनिष्ठा देखकर ,मैं कह सकती हूँ ,कि आप सिंगल पर्सन है ,जिन पर मैं ट्रस्ट कर सकती हूँ !'सखी के आगे कहे ये शब्द, मैंने रिवॉर्ड मानकर ,उन्हें शुक्रिया कहा !

    जीवन में एक इंसान भी ,आप पर सच्चे मन से विश्वास कर लें ,तो आपका जीवन सफल है !जीवन में इससे ज्यादा कुछ चाहिए आपको ?भाई ,मुझे तो चाहिए ,अगर इनके हाथ का बना खाना मिल जाये ,तो मज़ा आ जाये !'पर सखी साहिबा !आप थक जाओगे खिलाते -खिलाते !पेटू हूँ मैं !और लोग पता क्या कहेंगे ,देखो जी देखों ,रब भक्त को भोग लगा रहे है !'

    वैसे इसमें बुरा भी क्या है ?सखा -भाव में रब भी ,बराबर के हक़दार है भोग लगाने के लिए !

   वैसे दोस्तों !मेरी ये सखी कौन है ?

   शिल्पा 'शैली' और रेखा 'रुद्राक्षी' तो बिल्कुल भी नहीं है ! 


चीफ एडिटर आचार्य मनोज बत्तरा