9/9/20

शिल्पा के कारण; बत्रा के फ्रिज का मक्ख़न ,थोड़ा कम हुआ !-बर्बाद इंडिया / मनोज बत्रा (एडिटर)

टेली-कॉलिंगनार !

'बर्बाद इंडिया 'की सबसे बड़ी प्रशंसक,शिल्पा  'शैली ',फिर पुरस्कृत !

शिल्पा के कारण; बत्रा के फ्रिज का मक्ख़न ,थोड़ा कम हुआ !

  दिनांक -9  सितम्बर ,2020 
 राजपुरा -चंडीगढ़ (पंजाब ). (शिल्पा 'शैली 'और मनोज बत्रा द्वारा ). 

      रियल और वास्तविक ,उन्हें इंसान कहना अटपटा लग रहा है ,इसलिए रियल और वास्तविक रब जैसे लोगों के अंतर्मन की पहचान ,उनकी आवाज में परिवर्तन से हो जाती है। दरअसल ,वे अंदर से जो, जी रहे होते है ,वो ही उनके चेहरे और आवाज से झलक रहा होता है। आज जब 'बर्बाद इंडिया'की उप -संपादक शिल्पा जी 'शैली'का कॉल आया ,तो उनकी आवाज साफ़ दिखा रही थी ,कि वे अंदर से कुछ उखड़ी हुई -सी थी। इस बात पर, मेरे पूछने पर वे नहीं मानी ,बोली -'नहीं कोई बात नहीं !'यहाँ मैंने उन्हें आवाज सही करने हेतू काढ़ा पीने की सलाह दी !खैर ,बत्तरा साहेब ,तो पूर्व -जन्मों के अंतर्ज्ञान और संस्कारों के धनी है ,अनकही बातें ,कम कही बातों के मर्म को ,गहरे तक समझ जाते है !


व्यक्तिगत कारणों से शिल्पा "शैली " के स्थान पर,प्रतीक -रूप में
अभिनेत्री  शिल्पा शैट्टी का चित्र लगाया गया है !
 


     मैं हैरान तब हुआ ,जब उक्त बात से जुडी बात उन्होंने बोल डाली -'सर ,लगता है इन दिनों आप काफी बिजी रहे ,जो हमारी बात नहीं हुई ,,,,,,पिछले टेलि-कॉलिंगनार का शेष-भाग मैंने पढ़ा !एक-एक बात आपने बड़ी गहराई से ,मर्म के साथ और अंत में निष्कर्ष देकर लिखी !लगता है ,मनोज सर ,आप कागज -पैन साथ रखते हो !'
     मन में उनकी बात सुनकर ,सोच रहा था कि प्यार हो ,दोस्ती हो या फिर कोई भी रिश्ता ,जब आदत बन जाता है ,तो वह अपनी अहमियत खो देता है !'नहीं ,बिजी नहीं था ,कुछ लापरवाही और कुछ संशय के कारण ,आपसे बात नहीं कर पाया !,,,,और जहाँ तक गहराई और मर्म के साथ लिखने का सवाल है ,तो पहले मैं दिये टॉपिक पर लिखता था। पर फिर जीवन के अनुभवों से ,अंतर्ज्ञान हुआ कि नहीं ,दिमाग के साथ दिल से भी लिखो। जो जियो वो लिखो ,ऐसी सच्चाई लिखो ,जो दुनिया के काम आ सके !और खुद में चिंतन -मनन से ,ऐसे निष्कर्ष पैदा करो ,जो आम -जन को ,जीवन की जटिलता में दिशा दे !शिल्पा  जी ,इसी का नाम तो साहित्य है !ऐसा लेखन ,ऐसा साहित्य, जिसमें विश्व का कल्याण और परोपकार छिपा है ! ऐसा साहित्य लिखना-पढ़ना सकारात्मकता पैदा करता है और विश्व-कल्याण और परोपकार की भावनायें ,इंसान को भक्ति की ओर ले जाती है !'
     खैर ,दोस्तों ,जो भी है ,शिल्पा 'शैली जी मेरी और 'बर्बाद इंडिया 'की सबसे बड़ी प्रशंसक है !उनकी स्वादिष्ट आवाज में ,तारीफ सुनकर स्वाद आ जाता है ,मानो ऐसे लगता है ,जैसे कोई बड़ा राष्ट्रिय -पुरस्कार मिला हो ,लिखना सफल हुआ हो !अब शिल्पा जी का सम्मान बनता है, भाई ! मुख्य सम्पादक की हैसियत से मैं उनको   'बर्बाद इंडिया 'की सबसे बड़ी प्रशंसक होने की घोषणा,पुरस्कार सहित करता हूं !
     हमारे बीच का टेलि-कालिंगनार ,अपने पूरे हुस्न पर था।शिल्पा जी बोली -'मेरे बॉस मुझसे बोले ,शिल्पा ,ऐसा आपमें क्या है ,जो काम हम सीनियर होकर भी नहीं कर पाते ,वो आप कर डालते हो !कंपनी के जो ग्राहक किश्तें नहीं भर रहे होते है ,वे आगे -पीछे किश्तें भरने लगते है !'यह सुनकर मैं भी खुश था कि मेरी सखी की ऑफिस में बहुत इज्जत है !खैर,शिल्पा जी ने आगे बॉस से कहा कि 'सर ,कंपनी के ग्राहकों से मेरी बॉन्डिंग अच्छी रहती है,उनकी मजबूरी को समझती हूँ ,किश्त भरने के लिए ,जोर नहीं डालती !सर ,कोई भी समस्या ,सही समय और सही जरिया आने पर ही ,स्वयं  हल होती है !बस ,कंपनी और ग्राहकों को सब्र से काम लेना चाहिए !कंपनी के ग्राहक मुझ पर विश्वास करते है !'उनकी बात बीच में रोक ,उत्सुकता में गलतियां होती रहती है ,मैं बोल पड़ा कि 'विश्वास किया नहीं जाता ,हो जाता है!'
     और इधर मुझे ये भी लग रहा था कि अपने फ्रिज का थोड़ा मक्ख़न आज कुछ और कम करूँ !'दरअसल ,आपकी मधुर और बैलेंस आवाज लोगों पर असर डालती है और वे पॉजिटिव होकर ,एक्टिव हो जाते है !'मैं ये सब उनसे बोला ,मन में यह सब सोचते हुए भी ,कि तैनूं तां निन्द आ जांदी है ,इनहादि ग्लां सुनके ,जिवें सप्प ,सो जांदा है ,बीण दी आवाज तें !
     दरअसल , शिल्पा जी को खुद भी नहीं मालूम ,कि उनकी आवाज में जादू  है ! सुनने वाले में भी ,आवाज की आवृति ,बैलेंस ,मर्म आदि को समझने की शक्ति होनी चाहिए !वैसे तो कोई इंसान पूर्ण नहीं होता ,पर नवजोत सिंह सिद्धू के स्टाइल में कहूं तो,'मोहतरमा ,तुसी कम्प्लीट हो ,सारियां नूं करदे ,पलित्त हो !'भई ,अपनी तो बेहतरीन इंसान वाली तलाश इनसे पूरी हो गयी है !

     "बत्तरा साहब ,बस करो आप !इतनी तारीफ भी कोई मुँह पे करता है ?" 
     -"अरे , पगले मन !मैं तो सखी साहिबा की तारीफ ,फ़ोन  पे कर रहा हूँ !"

चीफ एडिटर आचार्य मनोज बत्तरा