9/8/20

विकास -मुद्दे पर ,शरारती तत्व हमेशा मुँह की खाएंगे ! @पत्रकार मनोज बत्रा -बर्बाद इंडिया / मनोज बत्रा (एडिटर)

कुलदीप नगर में ,मुख्य सड़कों का निर्माण जल्द शुरू ! -सतविंदर सिंह चंदूमाजरा

विकास -मुद्दे पर ,शरारती तत्व हमेशा मुँह की खाएंगे !
@पत्रकार मनोज बत्रा 

दिनांक -8 सितम्बर ,2020 . 
कुलदीप नगर ,राजपुरा (पंजाब ). (ईश्वर आज़ाद द्वारा ). 

     पिछले दिनों लोकल बॉडी विभाग ने,वार्ड -बंदी सम्बन्धी नोटिफिकेशन जारी करके ,वार्ड 15 को ,एस सी महिला आरक्षित घोषित किया था !इस तरह राजनीतिक सरगर्मियों के साथ -साथ ,प्रॉपर्टी सलाहकारों के भी हौंसले बुलंद रहे !उन्हें लग रहा है कि नगरपालिका में ,क्षेत्र के आने से और राजपुरा में आई टी पार्क बनने से ,कुलदीप नगर में ,प्लॉट के रेट 25000/-रुपये गज तक पहुंचेगें !किन्तु वर्तमान में ,यहाँ के निवासी मूलभूत सुविधाओं के अभाव में ,नारकीय जीवन जीने को मज़बूर है !जल -भराव ,गंदगी ,सीवरेज,चोरियां आदि यहाँ की प्रमुख समस्याएँ है !लापरवाही के चलते ,पिछले दिनों बिजली के खम्बों से ट्यूब्स लाइट्स और लोगों के बैठने वाले ,दो सरकारी बैंच भी चोरी  हुए है !


फाइल फोटो 
फाइल फोटो 

     पिछले कई दिनों से ,स्थानीय लोगों में ,कुलदीप नगर के ,नगरपालिका में आने और मुख्य सड़कों के निर्माण हेतू लाखों रूपये की ग्रांट आने की, चर्चा जोरों पर रही !आज राजनीति की बेहद समझ रखने वाले, पंच सरदार सतविंदर सिंह चंदूमाजरा ने, बेहद उत्साहित होकर बताया कि गांव में ,मुख्य सड़कों का निर्माण किया जा रहा है !इस ख़बर को आप प्रमुखता से ,प्रकाशित करें !


सतविंदर सिंह चंदूमाजरा

     इस सम्बन्ध में पत्रकार बत्रा से बात हुई ,तो उन्होंने कहा कि जीने हेतू क्षेत्र का विकास जरुरी है !गुटबाजी और गांव का माहौल ख़राब करने वाले शरारती तत्त्व ,विकास के मुद्दें पर ,हमेशा मुँह की खाएंगे !बत्रा ने आगे कहा ,चूँकि राजपुरा नगरपालिका और सम्बंधित समस्त ग्राम -पंचायतें ,इस समय राजपुरा -प्रशासक ,माननीय एस डी एम के अधीन है,तो न जाने किस कानून के अंतर्गत , ग्रांटे आ रही है और सड़क का निर्माण शुरू होने जा रहा है !


चीफ एडिटर आचार्य मनोज बत्तरा














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9/6/20

दुनिया के पास ,अब बचा यही रास्ता ! वैश्विक -शांति हेतू वैश्विक -उदारता और चीन के यू -टर्न की आवश्यकता ! @ मनोज बत्तरा -बर्बाद इंडिया / मनोज बत्रा (एडिटर)

सम्पादकीय- 

आचार्य मनोज बत्तरा के कीपैड से !



दुनिया के पास ,अब बचा यही रास्ता !

वैश्विक -शांति  हेतू वैश्विक -उदारता और चीन के यू -टर्न की आवश्यकता ! @ मनोज बत्तरा  

      "तिब्बत हमारी हथेली है ,तो लद्दाख ,नेपाल ,भूटान ,अरुणाचल  और सिक्किम हमारी अंगुलियाँ है !"-सन 1950 में ,दक्षिण एशिया के संदर्भ में,चीन के तत्कालीन शासन -प्रमुख माओत्से तुंग की इस सार्वजनिक टिप्पणी के आते ही ,भारत को सतर्क हो जाना चाहिए था,किन्तु तब हम राग अलापते रहे -"चीनी -हिंदी ,भाई- भाई !"और सन 1962 में चीन ने ,भारत पर आक्रमण कर ,उसका 37000 वर्ग किलोमीटर से अधिक का क्षेत्र,कब्जा लिया ,जिसे भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने ,संसद में भूमि का निर्जन टुकड़ा बताकर ,बात को 'आया राम ,गया राम' कर दिया था। इससे चीन की हिम्मत बढ़ी ,और उसने धीरे -धीरे ,लगातार भारतीय क्षेत्र पर ,बेखौफ अपना कब्ज़ा बढ़ाना जारी रखा और परिणाम-स्वरूप आज वाली स्थिति आ गई।



     आज वैश्विक कोरोना -संकट की जिम्मेदारी के, चीन व अमेरिका के बीच आरोप -प्रत्यारोप ,अत्यधिक मानवीय -हानि ,हर प्रकार के संकटों के माहौल में ,चीन को वैश्विक विरोध,बहिष्कार ,अविश्वास ,बदनामी और निर्यात पर टिकी चाइनीज अर्थव्यवस्था को बड़े -बड़े झटके सहन करने पड़ रहे है। चीन को घेरने और उस पर लगाम कसने हेतू ,चीन के खिलाफ वैश्विक -घेराबंदी को तेज किया जा रहा है !चीन के खिलाफ अमेरिका ,भारत -ऑस्ट्रेलिया -जापान संग 'नाटो' जैसा संगठन बनाने की तैयारी में है। पूर्व में ,1991 में अमेरिका ,तिब्बत की सरकार को मान्यता देकर, उसकी स्वतंत्रता का अनुमोदन कर चुका है। और सन 1960-61-65 में तीन बार, संयुक्त राष्ट्र संघ तिब्बतियों पर, चाइना के अमानवीय अत्याचारों की निंदा कर चुका है।



   
     निकट भविष्य में ,पूर्व में हुई भूलों में सुधार करते हुए ,भारत लेह में छोटे से कार्यालय में स्थित ,तिब्बत की निर्वासित सरकार और ताइवान को मान्यता देकर, फ्रांस ,ब्रिटेन,कनाडा,भूटान,ताइवान ,इंडोनेशिया ,अफगानिस्तान ,वियतनाम ,दक्षिणी कोरिया ,इजराइल आदि विश्व के देशों से ,इस मुद्दे पर समर्थन प्राप्त कर ,उनसे भी तिब्बत की निर्वासित सरकार और ताइवान को मान्यता दिलवा सकता है। ताइवान सरकार ने तो बिना मान्यता के भी ,भारत को सैन्य -सहायता देने को कहा है। ताजा घटना-क्रम में ,चीन के खिलाफ मोर्चाबंदी तेज करते हुए ,ताइवान ने उसके एक विमान को,अपने क्षेत्र में घुसने के कारण मार गिराया है।
     भारत द्वारा चीन के खिलाफ ,सन 1962 में गठित ,मेजर जनरल सुजान सिंह वाली,गुप्त फ़ोर्स 'स्पेशल फ्रंटियर फ़ोर्स 'को फिर से मोर्चा सँभालने हेतू तैयार किया गया है। दुश्मन को मुँह -तोड़ जवाब देने हेतू भारतीय सेना को ,महाघातक राफेल और इंगला एयर डिफेंस सिस्टम से भी सुसज्जित किया गया है।अभी हाल ही में,भारत ने हाइपरसोनिक  मिसाइल -तकनीक  का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है। 



     भारत द्वारा चीनी -एप्स -प्रतिबंध ,चीन से आयातित माल पर ड्यूटी -वृद्धि और चीनी ठेकों को रद्द करने आदि से भी चीन बौखला गया है। ताजा घटना-क्रमानुसार ,500 चीनी-सैनिकों द्वारा ,पैंगोंग त्सो झील के दक्षिणी इलाके को कब्जाने की नाकाम कोशिश हुई। चीन अवैध कब्जों ,लगातार घुसपैठ आदि चालों से सीमा -विवाद को तनावपूर्ण बना रहा है और सैन्य व राजनयिक वार्ताओं को भी सिरे नहीं चढ़ा रहा है ।दोनों के बीच सीमा -विवाद समाप्त होने की संभावना ,दिनों-दिन नगण्य होती जा रही है।



      वर्तमान परिपेक्ष्य में , रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और विदेश सचिव हर्षवर्धन शृंगला के ये बयान महत्वपूर्ण मानें जा रहे है।

     मास्को में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन के एक सम्मेलन में ,रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि "क्षेत्रीय स्थायित्व ,शांति और सुरक्षा हेतू आक्रामकता ,एक -दूसरे के हितों के प्रति संवेदनशीलता ,मतभेदों का शांतिपूर्ण समाधान ,अंतर्राष्ट्रीय कानूनों का सम्मान,परस्पर विश्वास का माहौल प्रमुख पहलू है।" उन्होंने आगे अपने बयान में,आंतकवाद के खिलाफ संस्थागत क्षमता विकसित  करने और पारदर्शी व् समग्रता लिए, मर्यादित वैश्विक सुरक्षा ढांचे के विकास की वकालत की।




     भारत के विदेश सचिव हर्षवर्धन शृंगला ने भी ,चीन को चेतावनी दे दी ,कि "सीमा पर शांति होने तक ,हमारे व्यापारिक -सम्बन्ध ,सामान्य रूप से नहीं चल सकते। भारत अपनी क्षेत्रीय अखंडता व सम्प्रभुता की रक्षा हेतू दृढ़ता के साथ प्रतिबद्ध है और इस पर कायम रहेगा। "उन्होंने आगे कहा की कि संकट के कठिन पलों में ,भारत  चीन से सैन्य व राजनयिक स्तर पर ,सम्पर्क  व संवाद बनाये हुए है।




     चाइना से भी कुछ सवाल किये जा  सकते है कि आखिर इतने बड़े वैश्विक -विरोध को चाइना कैसे झेल पायेगा !विश्व -बिरादरी के बिना चाइना जी सकेगा ?क्या अपने करोड़ों लोगों का पेट भर पायेंगा ?क्या तिब्बत आदि देशों की सम्प्रभुता को भंग करने का नैतिक अधिकार चाइना के  पास था ?

     चाइना को इस बात का डर,आशंका और समझ भी होनी चाहिए कि आम जनता ,सरकार की कुटिल नीतियों का कभी साथ नहीं देती ,उसे तो अपने जीवन से मतलब होता है !अपने परिवार के जीवन को बचाने के लिए ,ये सरकार का प्रबल और हिंसक विरोध तक कर डालते है !वैश्विक-आक्रमण की स्थिति में चाइना में ,भविष्य में गृह-युद्ध के हालात पैदा हो सकते है।

     खोई हुई वैश्विक-साख व शक्तिशाली देश का पुनः रुतबा पाने के लिए ,सुरक्षा -परिषद की स्थाई सदस्यता-निलंबन टालने के लिए ,विभिन्न देशों से द्विपक्षीय -सम्बन्ध बेहतर बनाने के लिए ,अंतर्राष्ट्रीय- न्यायालय में लगने वाले संभावित केस को ,कमजोर और उदार करने के लिए ,आज चाइना को वर्तमान की वैश्विक -परिस्थितयों में ,अपने अहंकार ,हवस ,साम्राज्यवादी ,बाज़ारवादी ,भोगवादी ,मानवता विरोधी और कुदरत विरोधी (कोरोना -संकट ) नीतियों में सुधार लाकर , यू -टर्न लेना होगा।  अब शांति -दूत के रूप में चाइना को नई भूमिका निभानी चाहिए। शांति -दूत बनकर,चाइना विश्व -बिरादरी को विश्वास दिलायें कि भविष्य में वो ऐसा कोई कार्य नहीं करेगा ,जिससे वैश्विक -संकट उत्पन्न हो और विश्व के विभिन्न देशों के साथ ,उसके सम्बन्ध खराब हो !वर्तमान परिस्थितियों में ,चाइना के पास उक्त उद्देश्यों को पाने के लिए,उक्त रास्ते के अलावा कोई चारा नहीं है। बस, उसे कुछ तकलीफ दायक त्याग करने होंगे !युद्ध से वह कभी भी इन उद्देश्यों की पूर्ति सुनिश्चित नहीं कर पायेंगा।




      वैश्विक -शांति-प्रयासों में पहल के तौर पर ,चाइना प्रभावित देशों की सम्प्रभुता बहाल करें और तिब्बत की जमीन से भी अपने पैर पीछे हटाकर ,तिब्बत को स्वतंत्र राष्ट्र घोषित करें।सन 1962 के समय, भारत का 37000 वर्ग किलोमीटर एरिया चाइना ने कब्जा लिया था ,वह भी लौटा दें।ऐसा करने से भारत की विदेश -नीति  /तटस्थता की नीति प्रभावित नहीं होगी।




     अन्तर्राष्ट्रीय मीडिया के सामने ,चाइना ये भी कह दे ,कि पाकिस्तान को आतंकवाद को प्रायोजित करना बंद करना होगा और कश्मीर-राग अलापना बंद करके, भारत से अपने रिश्तें सुधारने होंगें !ऐसे पाकिस्तान ,चाइना से डरकर ,भारत को परेशान करना बंद कर देगा !वैश्विक -शान्ति -प्रयासों में फिर चाइना की भी तारीफ़ होगी !

     चूँकि हर देश सैद्धांतिक रूप से आत्म -निर्भर होना चाहिए ,इसलिए चाइना के अनावश्यक निर्यात को नियंत्रित करने का,चाइना द्वारा विश्व को आश्वासन देना होगा।




     कोरोना -संकट से जूझ रहे ,विश्व के विभिन्न देशों और विश्व -स्वास्थ्य -संगठन को,और अधिक आर्थिक सहायता चाइना को देनी होगी।

     आज आवश्यकता है ,वर्तमान की वैश्विक -परिस्थितयों में ,वैश्विक -शांति के प्रयासों में ,वैश्विक -उदारता,सकारात्मक सोच और विश्व के लिए सद्बुद्धि और सदभावना की !रक्त -रंजित,भीषण संभावित तीसरे विश्व -युद्ध की विभीषिका से समस्त विश्व को बचाने ,सामान्य अवस्था में लाने और सुगमता से विकास की ऒर अग्रसर करने हेतू विश्व-बिरादरी को पिछला सब-कुछ भुलाना होगा।मजबूर विश्व के पास भी ,इसके अलावा कोई चारा नहीं है।

    निष्कर्षतः चाइना को जिद्द छोड़नी होगी। अपनी विस्तारवादी नीतियों पर अंकुश लगाना होगा। बच्चें कम पैदा करने होंगें या बच्चों की पैदाइश पर ,कुछ समय प्रतिबंध लगाना होगा। ताकि दूसरे की जमीन हड़पने की जरूरत ही न पड़े ! निर्वासित जीवन की कठिनाइयों और असीम दर्द -वेदना को समझना होगा। चाइना को ये भी समझना होगा कि वैश्विक -शांति में ही चाइना और विश्व का चंहुमुखी विकास संभव है !

  चाइना चूँकि महान शक्तिशाली है,जो चाहे फैसला लें। दुनिया को बर्बाद या आबाद करना ,अब चाइना के हाथ में है !अब देखना होगा, कि चालबाज समझे जाने वाला चीन, दुनिया को किस और धकेलता है !अब ईश्वर ही ,चाइना में विश्व हेतु सद्बुद्धि और सदभावना भर पाएं -ऐसी कामना है !




-मनोज बत्तरा



(लेखक स्वतंत्र पत्रकार और 'बर्बाद  इंडिया न्यूज़' के मुख्य  संपादक  है!)



crownmanojbatra@gmail.com




चीफ एडिटर आचार्य मनोज बत्तरा



9/5/20

"मजबूत विपक्ष, लोकतान्त्रिक- ढांचे की सर्वथा मांग !"- श्री मनोज बत्तरा -बर्बाद इंडिया / मनोज बत्रा (एडिटर)

करोड़ों पाठकों वाले "दैनिक ट्रिब्यून "ने, अपने द्वारा पुरस्कृत लेखक मनोज बत्तरा के विचारों को, फिर प्रमुखता से किया प्रकाशित !

"अपने संकट को, अवसर में बदले कांग्रेस !"-श्री राजकुमार सिंह

"मजबूत विपक्ष, लोकतान्त्रिक- ढांचे की सर्वथा मांग !"- श्री मनोज बत्तरा 

दिनांक -5 सितम्बर ,2020 .
राजपुरा -चंडीगढ़(पंजाब ).  (ईश्वर आज़ाद द्वारा ). 

     बहुत बड़ी सर्कुलेशन वाले और बेहद सम्मानित पत्र "दैनिक ट्रिब्यून" से पुरस्कृत ,बर्बाद इंडिया  न्यूज़ के मुख्य संपादक,फिल्म-निर्देशक,पत्रकार व साहित्यकार  मनोज बत्तरा के विचारों /प्रतिक्रिया को ,आज "दैनिक ट्रिब्यून " के सम्पादकीय -पृष्ठ पर ,'आपकी राय' कॉलम के अंतर्गत,'सोचने का वक़्त 'शीर्षक के साथ,प्रमुखता से प्रकाशित किया गया ! जिस पर ख़ुशी जाहिर करते हुए बत्तरा ने कहा कि दैनिक ट्रिब्यून के चंडीगढ़ ,करनाल और गुड़गांव संस्करण के करोड़ो पाठकों में उनका नाम बन रहा है ,ये बड़ी उपलब्धि है !

     आपको बता दें कि दिनांक 2 सितम्बर ,2020 के दैनिक ट्रिब्यून में ,सम्पादकीय -पृष्ठ पर प्रकाशित ,श्री राजकुमार सिंह जी ने अपने लेख"अपने संकट को अवसर में बदले कांग्रेस"  में कहा ,कि दीर्घकालीन राजनितिक विरासत वाली कांग्रेस को इस बात का अहसास होना चाहिए कि पार्टी में उभर रहे असंतोष के सुरों को ताकत में कैसे बदला जायें !यह भी ध्यान रहे कि विपक्ष में रहते हुए पार्टी संघठन को मजबूत करके ही, मोदी सरकार को चुनौती दी जा सकती है !वक़्त की जरुरत है कि पार्टी  संघठन को लोकतांत्रिक स्वरूप देकर असहमतियों के स्वरों को भी सुना जाएँ ! 


   
     इस पर बत्तरा ने अपनी सहमति जताते हुए , प्रतिक्रिया दी ,कि ये लेख मेरे दिल को छू गया !लेख सटीक ,प्रगतिवादी और सकारात्मक सोच वाला था !मजबूत विपक्ष लोकतान्त्रिक- ढांचे की सर्वथा मांग है !कांग्रेस को चाहिए ,कि पार्टी में उभर रहे ,असंतोष और असहमतियों के स्वरों को प्रमुखता दें!वर्तमान परिस्थितियों में ,योग्य व अनुभवी व्यक्ति को अपना नेतृत्व सौंपें !





     पूर्व में दैनिक ट्रिब्यून ,चंडीगढ़ के मुख्य संपादक श्री राज कुमार सिंह द्वारा, अपने प्रमाणित हस्ताक्षर के साथ, सम्मान-स्वरूप, हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री तथा महामहिम राज्यपाल से सम्मानित, डॉक्टर मधुकांत के लघु-कथा-संग्रह"तूणीर " की पुस्तक,बत्तरा को,पुरस्कृत करते हुए  भिजवाई गई थी ! दरअसल ,"चीनी उत्पादों के बहिष्कार की तार्किकता"  विषय पर अपने विचारों के अंतर्गत ,बत्तरा ने चीनी -सामान के बहिष्कार की पुरजोर वकालत की थी और इस बात पर जोर दिया था कि चीनी -सामान का ,जनता से पहले सरकार बहिष्कार करें!  
    6 जुलाई,2020 को बत्तरा के विचारों के आशय का सम्पादित और संक्षिप्त पत्र ,पुरस्कृत पत्र के रूप में,दैनिक ट्रिब्यून के चंडीगढ़ ,करनाल और गुड़गांव संस्करण में  प्रकाशित हुआ था।







चीफ एडिटर आचार्य मनोज बत्तरा





9/4/20

5 %कलियुग में,सांप से डर,चूहा पेड़ पर रहने लगा !-बर्बाद इंडिया / मनोज बत्रा (एडिटर)

सच्ची घटना ! मार्मिक प्रसंग !!

5 %कलियुग में,सांप से डर,चूहा पेड़ पर रहने लगा !

चूहे और गिलहरी ने कराये ,बत्तरा को भूल व पाप के अहसास! रामायण के प्राय अनसुने प्रसंग याद कर ,किया पश्चाताप !

दिनांक -3 सितम्बर ,2020 .
राजपुरा (पंजाब ). (मनोज बत्तरा द्वारा ).

     आज मेरे जीवन की वो सच्ची घटना घटी ,जिसने मुझमें पाप के अहसास कराये और मुझे रामायण-काल की याद दिला दी !
     अभी दो-तीन दिन पहले का ही किस्सा है !मेरे पड़ोस के दो घरों में सांप निकले ,जोकि मानवीय हाथों द्वारा मारे भी गए !दरअसल ,मेरा एरिया सांप ,बिच्छू ,छिपकलियों ,चूंहो ,कीट -पतंगों से भरा हुआ है!मैंने कई बार प्रशासन का ध्यान इस और दिलाया ,पर इसका अभी तक कोई स्थाई समाधान नहीं निकल पाया !
     मैं उस समय हैरान हो गया ,जब हमारी एक सहृदय पड़ोसन ने, मेरे घर आकर ,मुझे बताया कि भैया ,सांप हमारे फ्रिज के ऊपर बैठा था !पहले तो हम डर गए ,क्योंकि हमारे घर छोटा बच्चा है !फिर हमने वह सांप मरवा दिया !आप उस समय घर नहीं थे ,नहीं तो सांप मारने के लिएआपको बुलाते !दरअसल ,सेफ्टी के लिए मैंने पड़ोस में दो बार साँपों को मारा था ,जिसका कि बाद में मुझे अफ़सोस भी रहा ,कि जीव -हत्या ,पाप है !
     खैर ,बातें चल रही थी !पड़ोसन ने बताया कि अगले दिन घरों के पीछे जो पेड़ है ,उन्होंने उस पर एक सांप को, तीन फुट ऊपर तक चढ़ते देखा है !मुझे समझते देर न लगी कि सांप पेड़ से चढ़कर ,दीवार से टप्प कर ,घरों में घुस रहे है !पड़ोसन ने आगे मुझसे प्रार्थना की ,कि भैया ,आप घरों के पीछे ,जो शोरूम है ,उनसे कहकर पेड़ कटवाओ !और बत्तरा साहब खुश हो गए कि मौहल्ले में मेरी कितनी इज्जत है !
     चलो भाई,शोरूम वालों से इस सम्बन्ध में बात हुई और वे सब ,मामले की गंभीरता को समझते हुए मान गए !और पांच लोगों ने मिलकर ,घरों के पीछे के 7 -8 सामान्य और फलदार पेड़ काट डालें,ताकि सांप पेड़ों से चढ़कर ,घरों में न घुसे !कुछ पेड़ों को  जड़ से और कुछ को 3 -4 फुट तक ऊपर तने तक ,काटा गया !
     मैं छत पर खड़ा पेड़ों को काटने की सारी कार्रवाही देख रहा था ,कि अचानक मैंने देखा कि एक पेड़ के ऊपर लगे, एक घौंसले में २ -3 चूहे बैठे है !आसपास पॉलिथीन के लिफाफे है और कुछ गंदगी भी है !कुल्हाड़ियों की आवाज सुनकर वे सब डरकर ,नीचे भाग गए !मुझे समझते देर न लगी कि चूहों को खाने के उद्देश्य से ही ,सांप पेड़ों पर चढ़ रहे है और घरों में भी घुस आते है !शोरूम का बगीचा ,आसपास गंदे नालों ,खेतों ,छप्पड़ के कारण साँपों से घिरा रहता है !संभवत ,साँपों के डर से ,जीवन -मोह के चलते चूहें ,पेड़ पर रहने लगे हो !



     इस घटना को देखकर ,मन में विचार भी चल रहे थे कि देखो ,अभी कलियुग लगभग 5 %ही गया है और चूंहे पेड़ों पर रहने लगें !रामायण -काल की भी याद आ रही थी !रामचंदर जी ने सीता मैया से कहा था कि "ऐसा कलियुग आयेगा ,हंस चुगेगा दाना -तिनका ,कौवा मोती खायेगा !"



     मेरा विचारक मन आगे भी सोच रहा था ,कि प्रकृति का चक्र तो देखों ,सांप ,चूहे को खाता है ,हम सांप को खाते भी है और मार भी डालते है !सांप और मानव कितने पापी है ,ये विचारणीय प्रश्न है !
    किन्तु अब एक बात तो समझ आती है मुझे ,कि प्रकृति ने सांप को मुख्यता मांसाहारी बनाया ,तो उसे चूहे को मारने का हक़ है ,ये कोई पाप नहीं हुआ !और मानव सांप को सुरक्षा की दृष्टि से मारें ,तो पाप नहीं है और बेवजह मारे ,तो पाप है !परिस्थितयों के अनुसार ,पाप और पुण्य की परिभाषा बदल जाती है !वेदों में ,जीव हत्या को पाप बताया गया है ,बुद्धिमान और विवेकशील इंसान की कोशिश ये होनी चाहिए कि जीव हत्या न ही करें और सम -भाव से,सब प्राणियों में आत्मा का अस्तित्व स्वीकारतें हुए ,जीने का अधिकार प्रदान करें !क्योंकि पाप -बोध ,आत्म-ग्लानि ,समस्त प्राणियों में स्वयं के श्रेष्ठ होने का अहम ,मूढ़ता आदि ,उसके भक्ति -मार्ग में बाधक है !



     उक्त विचारों की कश्मकश मेरे अंदर चल ही रही थी ,कि क्या देखता हू ,एक नन्हीं -सी ,प्यारी -सी गिलहरी ,उन कटे हुए पेड़ के तनों पर ,मस्ती से चढ़ने लगी !कटा हुआ तना देखकर ,डरकर ,बड़ी हैरानी से घबराकर कि ये क्या हुआ ,आखिर पेड़ गया कहाँ ?वह कटे तने से उतरकर ,कहीं और भाग गई !सारा दृश्य देख मेरा मन दुःखी हो गया कि क्या तुझे ,चूहे और गिलहरी का आशियाना छीनने का कोई हक़ था !क्या पर्यावरण को नुकसान देकर तूने अच्छा किया !सीता माता ने अपने पुत्रों लव-कुश को समझाते हुए कहा था कि हरे पेड़ों से लकड़ियां मत काटो ,ये पेड़ भी जीव है !जलाने के लिए सूखी लकड़ियों का प्रयोग करों!



     आगे मन में ये विचार भी कौंध रहे थे कि अपने मौहल्ले और अपने बीवी-बच्चों की सुरक्षा तो तूने देखी ,पर इन नन्हे जीवों की सुरक्षा का क्या !इनके आशियाने का क्या !
     रामायण -काल का एक और भी प्रसंग याद आ रहा था कि सीता माता को पाने के लिए ,समुद्र बांधने के लिए ,राम-सेतू का कार्य जोरों पर था!नर ,वानर ,रीछ -भालू आदि सभी अपना सहयोग दे रहे थे !कि तभी रामचंद्र जी ने देखा कि एक नन्ही गिलहरी ,बार-बार समुन्दर में गोता लगाकर ,अपने शरीर को गीला करती है और फिर रेत में लेटकर ,रेत को अपने शरीर से चिपकती है !फिर शरीर से चिपकी रेत से, पुल के पत्थरों के बीच की दरारों को भरने की कोशिश करती है !इस मासूम गिलहरी की कर्मठता और अपने प्रति श्रद्धा -भाव देखकर राम जी ,गिलहरी को अपनी गोद में बिठाकर ,प्यार से ,अपने हाथ से सहलातें है !आज भी गिलहरियों के शरीर पर ,तीन सफ़ेद धारियां ,भगवान राम की अँगुलियों की याद दिलाती है !



     जब से ये प्रसंग मैंने सुना था ,तब से नन्ही और मासूम गिलहरियों के प्रति मेरी अपार श्रद्धा रही है !पर आज मेरे कारण उसका आशियाना उजड़ गया !गिलहरी का ही क्यों ,चूहे का भी आशियाना मेरे कारण ही उजड़ा !
     अंत में ,सारी कश्मकश का मैंने यही हल सोचा कि हम बुद्धिमान और विवेकशील प्राणी है ,किन्तु मन की मूढ़ता ,अहम ,अज्ञानता ,अपनी सुविधा देखने आदि कारणों के चलते ,पर्यावरण और जीवों को नुक्सान दे देते है !यदि हम अपने घरों की दीवारों को ही ऊँचा करवाने की सोचते ,तो  पेड़ और चूहे व् गिलहरी के आशियाने बच सकते थे !मुझे अपनी भूल का अहसास था !और रही बात सांप और चूहे के प्रकृति -चक्र की ,तो उसमे दखलंदाजी शायद नैतिक नहीं है !


चीफ एडिटर आचार्य मनोज बत्तरा



9/3/20

पत्रकार विर्क की ममतामयी माता का देहांत !"बर्बाद इंडिया "टीम ने दी ,सच्ची श्रद्धांजलि ! -बर्बाद इंडिया / मनोज बत्रा (एडिटर)

"बर्बाद इंडिया "टीम ने दी ,सच्ची श्रद्धांजलि !

पत्रकार विर्क की ममतामयी माता का देहांत !

दिनांक -2 सितम्बर ,2020 . 
राजपुरा (पंजाब ). (मनोज बत्तरा द्वारा ). 

पत्रकार गुरशरण सिंह विर्क 
     न्यू प्रेस क्लब ,राजपुरा के उपाध्यक्ष व दैनिक पहरेदार के पत्रकार श्री गुरशरण सिंह विर्क की माता जी श्रीमती अंग्रेज कौर का, आज सुबह देहांत हो गया !वे संक्षिप्त रूप से बीमार चल रही थी !इससे विर्क का परिवार गहरे सदमे में है !स्वयं विर्क ने अपनी वृद्ध माँ की आत्मा की शांति के लिए ,ईश्वर के चरणों में अरदास की है !शहर के अनेकों गणमान्य व्यक्तियों ने विर्क के परिवार को सांत्वना दी है!


विर्क की माता जी का फाइल फोटो 
     

    'बर्बाद इंडिया 'चूँकि उन्हें व्यक्तिगत जानता था ,इसलिए हमारी समस्त टीम की और से ,उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि !दरअसल वे एक ममतामयी माँ और एक हंसमुख इंसान थी ! 

   





चीफ एडिटर आचार्य मनोज बत्तरा