8/19/20

"चुगली का मज़ा लेने वाले ,तेरी भी चुगली हो रही है ,मौहल्ले में !"-बर्बाद इंडिया / मनोज बत्रा (एडिटर)

सम्पादकीय- 


आचार्य मनोज बत्तरा के कीपैड से !


 "चुगली का मज़ा लेने वाले,तेरी भी चुगली हो रही है,मौहल्ले में !"

     "चुगली"-नाम से ही स्पष्ट है कि गली -मौहल्ले में होने वाली चूँ -चूँ ,ची -ची आदि को ही चुगली कहा जाता है और ऐसे मौहल्ले को "चुगली मौहल्ला "! अन्य नामों में बुराई ,निंदा ,कान भरना आदि भी, चुगली को ही कहते है!किसी के गुण -दोष बताना (आलोचना/समीक्षा ),निंदा या चुगली नहीं होती !चुगली के मामले में पुरुष से ज्यादा औरतें बदनाम होती है !

योगी जी: क्या केवल जुगाली करेंगी ...

     भैंस की जुगाली हो या लोगों की चुगली ,बेवजह नहीं होती !भैंस घास आदि खाने के बाद अपने मुँह से सफ़ेद झाग निकालती है ,जैसे मानो कोलगेट कर रही हो और पुरुष व औरतें स्वयं की हीनता ,कमजोरी तथा आदतन आदि के कारण चुगली करते है!कुछ हाउस वाइफ औरतों का तो घर की चारदीवारी में सारा दिन दम घुटता है ,तो वे पड़ोसन की चौखट पर पहुँच जाती है ,चुगली का अधूरा ग्रन्थ लिखने को!वैसे भी खाली दिमाग शैतान का घर होता है !मुझे याद आ रहा है ,किसी विद्वान् का कथन कि "निंदा का जन्म ,हीनता और कमजोरी से ही होता है!"
     निंदा ,बुराई ,चुगली करने वाले को "निन्दक "कहा जाता है !निन्दक मुख्यता दो प्रकार के होते है-सामान्य निन्दक और मशीनरी निन्दक !सामान्य निन्दक वे निन्दक होते है ,जो परिस्थितयों के अनुसार ,कम या ज्यादा लोगों की सामान्य रूप से चुगली -निंदा करते है!और मशीनरी निन्दक ,वो निन्दक होते है ,जो चालू मशीन की तरह,लगातार चुगली-निन्दा करते ही रहते है !वे रुकने का नाम ही नहीं लेते है !मशीनरी निन्दक ,सामान्य निन्दकों से ज्यादा खतरनाक होते है !और मशीनरी निन्दकों में, सामान्य निन्दकों से कहीं ज्यादा हीनता और कमजोरी होती है !
     दोनों प्रकार के निन्दकों में एक बात कॉमन है कि दोनों ही अपने अहम की संतुष्टि के लिए ,चुगली -निन्दा का सहारा लेते है और इनके अंतर में अकेलापन व् खालीपन भी संभवत होता है !काश ,कोई इनको समझा पाता कि जीवन का असली आनंद परोपकार ,कल्याण और ईश्वर के प्रति भक्ति आदि उच्च भावनाओं में है !दोनों ही निन्दक अपना और अपने सामने वाले श्रवणकारी शिकार का समय नष्ट कर रहे होते है !
     मौहल्ला चाहे कोई भी हो ,वहाँ थोड़ा या ज्यादा चुगली-निन्दा का साम्राज्य रहता ही है !"तारक मेहता"वाली 'गोकुलधाम सोसाइटी 'सब जगह थोड़ी होती है!मैंने एक मौहल्ला ऐसा भी देखा है ,जहाँ अंदर ही अंदर चुगली-निन्दा चलती है !पर इस मौहल्ले की ख़ास बात ये है कि यहाँ कभी झगड़ा नहीं होता !सब संभ्रांत परिवारों के स्याने लोग है!मैं तो यहीं कहूंगा कि "चुगली का मज़ा लेने वाले ,तेरी भी चुगली हो रही है ,मौहल्ले में !"
     मेरी नज़र में ,मौहल्ला सदभाव और सहयोगपूर्ण होना चाहिए !दिन में कितनी बार हम एक-दूसरे के मुँह -माथे लगते है !जरूरत ,सुख -दुःख में ,कम -ज्यादा एक-दूसरे के काम आते ही है! क्या ये छोटी बात है ?मौहल्ला भी एक वृहद परिवार है और पडोसी इस परिवार का महत्वपूर्ण हिस्सा!सारी उम्र जब साथ रहना है ,तो शूद्र और निम्नतर व्यवहार क्यों ?
    समझदारी इसी में है कि पहले तो किसी निन्दक को अपने पास बैठने न दें!और यदि आप ऐसा न कर पाएं ,तो उसे स्पष्ट बोलने का साहस अवश्य दिखाएँ कि किसी की बुराई हमसे न करें !हमारी फितरत सबसे मेलजोल वाली है !

Twitter पर @zoomtv: "Bollywood @ 13 megapixels - Gandhi Ji ke ...

     एक बार आपने निन्दक से किसी की चुगली -निन्दा सुन ली ,तो उसे आगे का रास्ता मिल जायेगा !क्योंकि आपको मज़ा आने लगता है ,दूसरों की बुराई सुनने में !तब आपको निन्दक अपना सगा रिश्तेदार लगने लगता है!आप उस पर अंधविश्वास करके, अपने भेद देने लगते है और वह महान निन्दक आपको कहाँ-कहाँ मशहूर कर देता है ,आपको पता चलना तो दूर ,आईडिया तक नहीं होता आपको, कि आप बदनाम हो चुके है !
     ऐसे निन्दक किसी न किसी बहाने आपके दिल और घर में घुसते है !अपनी तारीफ और इज्ज़त ये मौहल्ले के हर घर से चाहते है !पर दूसरे की इज्जत का जनाजा हर वक़्त ,निन्दा कर-कर निकालते रहते है !माफ़ कीजियेगा ,एक कहावत है कि -"ये गूं भी वहीं खाते है ,जहाँ की चुगली करते है !"
     यदि मौहल्ला "चुगली मौहल्ला"है,तो पड़ोसियों का दोगलापन और झूठे रिश्ते हमेशा आपको तकलीफ देंगे !सकारात्मक /पॉज़िटिव विचार,परस्पर सहयोग और सम्मान से हम  एक -दूसरे के जीवन में खुशबू बिखेरें -ऐसा विचार मन में ला,प्रण लें कि न बुरा कहेंगे ,न बुरा सुनेंगें !

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चीफ एडिटर आचार्य मनोज बत्तरा



8/15/20

टेली -कालिंगनार में बत्तरा ने शिल्पा "शैली "को 'जीवित स्टेचू ऑफ़ पाजिटिविटी 'और"सकारात्मकता "को सभी मानसिक शक्तियों की मम्मी जी बताया !-बर्बाद इंडिया / मनोज बत्रा (एडिटर)

टेली -कालिंगनार में बत्तरा ने शिल्पा "शैली "को 'जीवित स्टेचू ऑफ़ पाजिटिविटी 'और"सकारात्मकता "को सभी मानसिक शक्तियों की मम्मी जी बताया !

   

सम्पादकीय- 


आचार्य मनोज बत्तरा के कीपैड से !


     उच्च मानवीय गुणों की स्वामिनी और "बर्बाद इंडिया "की को -एडिटर शिल्पा जी "शैली "द्वारा ,विषम परिस्थितयों में सकारात्मकता के भाव की मुझे शिक्षा और उसके सुखद परिणाम आने के बाद भी ,हमारे बीच सकारात्मकता को लेकर ,टेली -कालिंगनार /चर्चा चली !
     शिल्पा जी ,विल -पॉवर को समझती है!और मेरा व्यक्तित्व पूर्व -जन्म के संस्कारों से निर्मित है !इन्ट्यूशन -पॉवर /पूर्वाभास ,दिव्याभास ,प्रेम ,श्रद्धा ,विश्वास ,भक्ति आदि मेरे जीवन के ,अविश्वसनीय सत्य है!शिल्पा जी जो कहती है ,जो समझाती है ,वो मुझ पर बेहद असर डालता है !मुझे उनसे प्रेरणा मिलती है !मेरे अंदर उनके कारण ही ,जो सच घट रहा है ,वो ही लिख रहा हूं !
      इन्ट्यूशन -पॉवर /पूर्वाभास ,दिव्याभास ,प्रेम ,श्रद्धा ,विश्वास ,भक्ति आदि मानसिक -शक्तियों की तरह ही ,सकारात्मकता /पाजिटिविटी भी एक मन की शक्ति है !इसका अनुभव करके ,हम विषम  परिस्थितयों में भी ,प्राय सुखद परिणाम ले सकते है!जीवन में सफलता ,मानव-कल्याण ,परोपकार आदि के लिए, सकारात्मक और कल्याणकारी सोच की आवश्यकता होती है!विषम परिस्थितयों में ,सामने वाले को यदि स्पष्ट रूप से ,बात के सभी पक्ष निर्भीक होकर ,सच-सच बता दिए जाएँ ,तो उसको अपनी ओर किया जा सकता है !समय मिलने से ,विषम परिस्थितियों का प्रभाव कम हो जाता है!मेरा मानना  है कि सकारात्मकता के भावों से भक्ति के सोपानों /सीढ़ी को पार किया जा सकता है!इससे यानी भक्ति में सकारात्मकता के भावों से,ईश्वर -प्राप्ति भी संभव है !सही ही तो है ,बड़ा -बड़ा ,ऊँचा -ऊँचा ,अच्छा -अच्छा ,कल्याणकारी -सोच का भाव ही तो "सकारात्मकता "है !मैं तो कहूंगा जी ,"सकारात्मकता "सभी मानसिक शक्तियों की मम्मी जी है !आई लव यू ,पाजिटिविटी मम्मा जी !
     टेली -कालिंगनार में चर्चा आगे बढ़ रही थी !
     "दूध का जला ,छाछ भी फूंक -फूंक कर पीता है !क्या आपके जीवन में ,ऐसा कुछ है ?"-मेरे इस प्रश्न के उत्तर में शिल्पा जी ,बड़े शांत स्वभाव से बोली -"नहीं ,मेरे जीवन में ऐसा कुछ नहीं है !मेरे माता -पिता ने मुझे हमेशा सिखाया कि जीवन में ऐसा कोई कार्य न करों कि बाद में पछताना पड़े !और आत्म -ग्लानि में ,आप खुद की ही  नज़रों से गिर जाओ! "उन्होंने आगे ये भी कहा कि इसलिए मैं ऐसा कोई कार्य नहीं करती ,जिससे बाद में पछताना पड़े !मुझमें बेहद स्वाभिमान है !मुझे अपमानित होना या मखौल का विषय बनना ,पसंद नहीं !
     सच ही तो कहा है ,सकारात्मकता की साक्षात्, जीवित मूर्ति शिल्पा "शैली "जी ने !वास्तव में ,"आत्म-ग्लानि"पश्चाताप की वो स्थिति है ,जिसमें आत्मिक दर्द -वेदना होती है !शाब्दिक अर्थ से भी तो स्पष्ट है ,आत्मा का गल जाना !बिखर जाना!
     दरअसल,आत्म-ग्लानि ,बिना सोचे -समझे किये गए कार्यों ,अहंकार युक्त गलत फैसलों आदि के बाद,आने वाले भयंकर परिणामों और उत्पन्न विषम परिस्थितयों में ,किसी भी मनुष्य में ,मनोवैज्ञानिक रूप से आ सकती है!
     आत्म-ग्लानि में ,यदि सकारात्मक -भाव है ,तो प्राय मनुष्य पश्चताप के बाद,खुद को समेटकर ,गलतियां दोबारा न करने की प्रेरणा लेता हुआ ,अपने जीवन में आगे बढ़ जाता है!और यदि आत्म-ग्लानि में नकारात्मक -भाव है ,तो मनुष्य स्वयं को तुच्छ और जीर्ण-शीर्ण समझते हुए ,शर्म से आत्म-हत्या तक कर लेता है या जीवन-भर पश्चाताप में पड़ा रहता है!
     इस प्रकार ,आत्म-ग्लानि भी ,मन की ही एक स्थिति है!जोकि विभिन्न रूपों में,विभिन्न कारणों से मनुष्य  में आ सकती है!


व्यक्तिगत कारणों से शिल्पा "शैली " के स्थान पर,प्रतीक -रूप में
अभिनेत्री  शिल्पा शैट्टी का चित्र लगाया गया है ! 


      ईश्वर की बनाई हुई, अद्भुत कृति/रचना ,शिल्पा "शैली "जी को मैंने अच्छे से समझ लिया है!माता-पिता द्वारा दिए गए ,संस्कारों के कारण ही ,उनमें प्राय सकारात्मकता के भाव रहते है और इसी सकारात्मकता के कारण ही,उनकी वाणी व् सुलझे व्यवहार में गजब का संतुलन है !सब दिव्य लगता है!और उनकी स्पष्टता ,भीतर की ईमानदारी ,सच्चाई और सकारत्मकता ,कहीं न कहीं स्वाभिमान पैदा करती है!तभी तो,एक सम्मानित जीवन व सम्मानित रिश्तों की चाह रखती है ,शिल्पा जी !
     टेली -कालिंगनार में चर्चा जब अपने अंतिम चरण में आई,तो शिल्पा जी ने बड़ी सहजता और कॉन्फिडेंस से कहा-"ऐसा नहीं है कि उनमे भी नकारात्मकता के भाव नहीं आते !वे स्वाभाविक है ,पर वे जल्द ही उन पर कंट्रोल कर लेती है!"
    और अंत में,निष्कर्ष रूप में ,यहीं कहना चाहूंगा कि भक्ति -सत्संग से ,अच्छा साहित्य पढ़ने से ,अच्छे लोगों की मित्रता से,अंतर्ज्ञान -चिंतन-मनन- रचनात्मकता और  माता-पिता -गुरु  के संस्कारों आदि से सकारात्मकता आती है!बस जरुरत है ,जीवन को सफल बनाने के लिए ,ईश्वर प्रदत्त इस अद्भुत "सकारात्मकता "की शक्ति को पहचानने और उसके सदुपयोग की!
     वैसे शिल्पा जी ,आपके चरण -कमल  कहाँ है ?


चीफ एडिटर आचार्य मनोज बत्तरा




   




8/6/20

लोग सस्ते फ़िल्टर बनवाने, तसल्ली बक्श रिपेयर हेतू ठक्कर R.O./लाइट्स रिपेयर सेंटर को याद करते है!-बर्बाद इंडिया / मनोज बत्रा (एडिटर)

लोग सस्ते फ़िल्टर बनवाने, तसल्ली बक्श रिपेयर हेतू  ठक्कर R.O. एंड लाइट्स रिपेयर सेंटर को याद करते है!

5 अगस्त ,2020.
राजपुरा (पंजाब ). (ईश्वर आज़ाद द्वारा ). 

      गर्मियों का सीजन आते ही ,मकान नंबर -999 ,कुलदीप नगर स्थित  ठक्कर R.O. एंड लाइट्स रिपेयर सेंटर, सस्ते फ़िल्टर बनवाने और तसल्ली बक्श रिपेयर हेतू लोगो द्वारा याद किया जाता है !इस सेंटर के मालिक राजेश ठक्कर बड़े हर्ष के साथ बताते है कि उनके यहाँ 2800 रूपये से लेकर 7000 रुपये तक के विभिन्न क़्वालिटी के, पानी के फ़िल्टर तैयार किये जाते है !इनका पानी स्वच्छ और सुरक्षित होता है !
     राजेश ने आगे बताया कि कैंट ,पवित्रता ,एकवा फ्रेश ,एकवा ग्रैंड आदि फिलटरो की तसल्ली बक्श रिपेयर,उनके यहाँ सस्ते मूल्य पर की जाती है !यू वी ,सेडीमेड ,पोस्ट कार्बन ,कार्बन, कॉपर,बायो और सप्लाई (smvs )व पम्पस आदि ग्राहकों को वाजिब और मार्किट रेट पर उपलब्ध करायें जाते है!

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     इसके अतिरिक्त ,हॅसमुख और मिलनसार राजेश ने बताया कि उनके यहाँ वर्क ऐट होम की संस्कृति को अपनाया गया है !LED बल्ब्स ,स्ट्रीट लाइट्स  ,फ्लड  लाइट्स ,लाइटिंग  पैनल्स  में  उन्हें  माहरत  हासिल  है!
ठक्कर R.O. एंड लाइट्स रिपेयर सेंटर के मालिक राजेश ठक्कर से 7508039878 फ़ोन नंबर पर सम्पर्क किया जा सकता है !



चीफ एडिटर आचार्य मनोज बत्तरा


  

8/5/20

आयुर्वेदिक दवा की तीन खुराकों से प्लेटलेट्स सेल में आश्चर्यजनक बढोत्तरी !-बर्बाद इंडिया / मनोज बत्रा (एडिटर)

अच्छी खबर! 

आयुर्वेदिक दवा की तीन खुराकों से प्लेटलेट्स सेल में आश्चर्यजनक बढोत्तरी !

4 अगस्त ,2020. 
चंडीगढ़ (पंजाब ). (मनोज बत्तरा द्वारा ). 
 
    डेंगू सहित अन्य कई कारणों के चलते, शरीर के खून में प्लेटलेट्स सेल, खतरनाक सीमा तक कम हो जाते है !अन्य वायरल बिमारियों में भी ऐसा हो सकता है !ऐसी स्थिति में,मरीज को प्लेटलेट्स देने के लिए (प्लेटलेट्स ट्रान्सफयूजन) एक जटिल और वैज्ञानिक निर्णय की आवश्यकता पड़ती है !

What Are Platelets?

    ऐसे में प्लेटलेट्स की संख्या बढ़ाने के लिए, आयुर्वेद का कोई सरल और सुरक्षित फार्मूला, शोध के बाद सामने आ जाये ,तो इसे वरदान ही कहा जायेगा ! जी ,हाँ ,सेक्टर 44 स्थित,भारत के प्रसिद्ध वर्धान आयुर्वैदिक एंड हर्बल मेडिसन प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य डॉक्टर अनिल कुमार द्वारा शोध के बाद ,एक अत्यंत गुणकारी औषधि विकसित की है ,जिसकी तीन खुराकें देने मात्र से ही ,मरीज में आश्चर्यजनक ढंग से प्लेटलेट्स सेल बढ़ जाते है !दर्जनों मरीजों पर इस दवा का असर चेक किया गया है ,परिणाम सुखद ही आया है !
चीफ एडिटर आचार्य मनोज बत्तरा


 


7/31/20

कोरोना -वॉरियर्स डॉ.मनजीत सिंह ,अपने निःस्वार्थ कार्यों हेतू पुरस्कृत !-बर्बाद इंडिया / मनोज बत्रा (एडिटर)

बंदा रब का दास है !क्षेत्र का बड़ा ख़ास है !!

 कोरोना -वॉरियर्स डॉ.मनजीत सिंह ,अपने निःस्वार्थ कार्यों हेतू पुरस्कृत !

30 जुलाई ,2020 . 
कुलदीप नगर ,राजपुरा(पंजाब ). 
(ईश्वर आज़ाद और मनोज बत्तरा द्वारा ).

     कुलदीप नगर और आस-पास के एरिया के मशहूर डॉक्टर मनजीत सिंह ,इलाके का जाना-माना नाम है !ये नाम ऐसे ही नहीं बना !इसके पीछे उनकी काम के प्रति गहरी लगन, मेहनत और समाज के प्रति सेवा का उनका  भाव है! 
     अब समाज और देश की तरक्की और सेवा तो कोई रब का बंदा ही सोच सकता है !जी हाँ ,पंजाब के इतिहास में बेहद रुचि रखने वाले ,डॉक्टर मनजीत रब के दास भी है !रब के वजूद में विश्वास रखते है और गुरुद्वारों ,मंदिरों आदि धार्मिक स्थलों में दर्शन ,प्रसादा छकना और सेवा करना आदि इनके नियमित कार्य और व्यवहार है !
     डॉक्टर मनजीत इलाके के लोगो के बीच अपनी अच्छी पकड़ रखते है !प्यार और सम्मान से लोग, उन्हें उनके निक नेम "डॉक्टर बिल्ला "से कहकर पुकारते है !लोगों का विश्वास उनके द्वारा किये गए निःस्वार्थ कार्यों के कारण भी है !पिछले दिनों उन्होंने एक नाली साफ़ करने वाले, बेहद गरीब व्यक्ति के माथे पर उगे हानिकारक फोड़े का ऑप्रेशन ,अपने और कुछ साथियों के पैसों से मिलकर करवाया !गरीबों को मुफ़्त दवाइयां तक बाँट देते है,डॉक्टर मनजीत !


मोहमद खलील नाली वाला 

     कोरोना -काल में भी डॉक्टर मनजीत सिंह ,"डॉक्टर लाल पैथ लेब" की टीम के साथ,अपनी जान की परवाह किये बिना, जुड़े हुए कार्य कर रहे है !वे सचमुच कोरोना वॉरियर्स है !रक्त -दान कैम्प हो या कोई भी चेकअप- कैम्प या समाज की सेवा का कार्य ,वे अपना योगदान बनाए रखते है !डेंगू तो इनसे डरता है !डेंगू के बहुत सारे मरीज इन्होने ठीक किये है!




डॉक्टर मनजीत अपना प्लेटलेट्स किसी
 अनजान व्यक्ति को दान करते हुए !

      डॉक्टर मनजीत सिंह एक कवि ,लेखक, स्वतंत्र पत्रकार और एक सामाजिक प्राणी भी है !"लक्कड़ -छक्क्ड़ जोड़कर ,मैंने कंप्यूटर- सेंटर बनाया !"नामक कविता उनके कवि -रूप की बेहतरीन मिसाल है !जन्म-दिन ,मुंडन ,सगाई ,विवाह हो या किसी का भोग ,डॉक्टर साहेब ,वहाँ पहुँच कर अपना सामाजिक कर्तव्य अवश्य निभाते है!
     डॉक्टर मनजीत एक प्यारी -सी बिटिया के पिता भी है !जीवन में बेटियों की अहमियत समझने के कारण ही ,वे  "बेटी बचाओं ,बेटी पढ़ाओं "मुहिम के सख्त हिमायती है !






      उन्होंने बताया कि वे गांव में रेड क्रॉस संस्था को लाने के इच्छुक है ,ताकि गांव के युवा समाज और देश-सेवा से जुड़ सकें !



     पूर्व में एक सामाजिक संस्था द्वारा डॉक्टर मनजीत का सम्मान किया गया !"बर्बाद इंडिया "भी अपने सामाजिक-दायित्व को समझता है !इसीलिए डॉक्टर मनजीत को उत्साहित करने के लिए ही ,उनके सामाजिक- कार्यों और निःस्वार्थ सेवाओं के लिए ,पुरस्कृत किया जा रहा है !डॉक्टर मनजीत सिंह को "बर्बाद इंडिया"की संपादक- टीम की ओर से हार्दिक शुभकामनाएं !

चीफ एडिटर आचार्य मनोज बत्तरा